Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

कलराज मिश्र बने हिमाचल प्रदेश के नए राज्यपाल, मुख्यमंत्री योगी ने दी बधाई

 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के दिग्गज भाजपा नेताओं में शामिल और सन् 1968 से राजनीतिक सफर शुरू करने वाले कलराज मिश्र को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बना दिया गया है। कलराज के राज्यपाल बनने की जानकारी होने पर उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत तमाम मंत्रियों, नेताओं और उनके सहयोगियों ने बधाइयां दी हैं।

सन् 2019 में हिमाचल प्रदेश में राज्यपाल बन कर जा रहे कलराज मिश्र एक लम्बे समय तक उत्तर प्रदेश के छोटे बड़े जिलों में राजनीतिक हलचल के बीच चर्चा में बने रहे हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कलराज मिश्र के राज्यपाल बनने पर ट्वीट किया है। मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीटर हैंडल से लिखा है कि केन्द्र सरकार के पूर्व सूक्ष्म एवं लघु उद्योग ‍मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कलराज मिश्र को हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाए जाने पर कोटिशः बधाई व शुभकामनाएं प्रेषित की हैं। ‘

संगठन मंत्री अशोक तिवारी ने बताया कि कलराज मिश्र का नाम आते ही गोरखपुर में उनके राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रचारक वाली छवि सामने आ जाती है। वह सन् 1968 में प्रचारक से वापस आए और तभी उनका राजनीतिक सफर शुरु हुआ।

तिवारी ने बताया कि कलराज मिश्र जनसंघ में संगठन मंत्री हुए, यह समय 1968 का था। इसके बाद आंदोलन का दौर था और कलराज को देवरिया जेल में बंद किया गया। जब जनता युवा मोर्चा बना तो वह सन् 1978 में उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। सन् 1984 में कलराज जी को भाजपा में प्रदेश महामंत्री बनाया गया।

उन्होंने बताया कि सन् 1984 से 91 तक प्रदेश महामंत्री रहने के बाद वह प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। इसके बाद सन् 1991 से 97 तक वह प्रदेश अध्यक्ष रहे। इसी समय मायावती की छह माह की सरकार में वह पीडब्लूडी मंत्री बनाए गए। इस दौरान वह सदस्य विधान परिषद थे। इसके बाद वह पुन: 1999 में प्रदेश अध्यक्ष बने और 2002 तक रहे। सन् 2000 मे वह पुन: राज्यसभा के सांसद बने और 2010 तक रहे।

संगठन मंत्री ने बताया कि वर्ष 2012 में कलराज मिश्र को लखनऊ उत्तर से विधानसभा में पहुंचने का मौका मिला। इसके बाद ही 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लहर में वह देवरिया से लोकसभा का चुनाव जीतकर केन्द्रीय मंत्री भी बने। 2019 में लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे के समय उन्होंने देवरिया से चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था।