केंद्र सरकार के नोटबंदी के निर्णय को जदयू का समर्थन फिलहाल जारी रहेगा। जदयू ने पहले बीते साल के अंत में नोटबंदी की समीक्षा करने की घोषणा की थी, लेकिन पार्टी ने अब इसे जनवरी के अंत तक टाल दिया है। इसे पार्टी सुप्रीमो व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बड़ा फैसला माना जा रहा है। लोग इसे राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से भी जोड़कर देख रहे हैं।
विदित हो कि नीतीश कुमार ने नोटबंदी को लेकर केंद्र सरकार को समर्थन दिया है। लेकिन, इसके साथ उन्होंने यह बात भी कही थी कि पीएम नरेंद्र मोदी ने देश में उहाफोह की स्थिति को संभालने के लिए 50 दिनों का समय मांगा था, इसलिए जदयू 50 दिनों बाद जदयू नोटबंदी की समीक्षा करेगा।
नीतीश कुमार के उक्त बयान के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि जदयू 31 दिसंबर के बाद यू टर्न लेकर महागठबंधन के घटक दलों के साथ आ सकता है। महागठबंधन के घटक कांग्रेस व राजद नोटबंदी के खिलाफ हैं।लेकिन, जदयू ने नोटबंदी की समीक्षा को फिलहाल टाल दिया है। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा है कि नोटबंदी की परेशानी कम हुई है। फिर भी इसके असर की पूरी समीक्षा की जाएगी। अब इसकी समीक्षा जनवरी के अंतिम सप्ताह में होगी।
बीते पांच जनवरी को पटना में गुरु गाेविेंद सिंह प्रकाश पर्व के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक-दूसरे की जमकर तारीफ की थी। इसके बाद दोनों के संबंधों में कटुता दूर होने की चर्चा के बीच राजनीतिक अर्थ भी खोजे जा रहे हैं। खासकर तब, जब पकाश पर्व में पटन पहुंचे सिखों में नीतीश का क्रेज बढ़ गया है। पंजाब में विधानसभा चुनाव है। ऐसे में पीएम मोदी ने नीतीश की तारीफ कर सिखों के मन की बात की।राजनीतिक विश्लेषक मोदी-नीतीश की उस जुगलबंदी को बिहार के राजनीतिक समीकरण में बदलाव से भी जोड़ रहे हैं। हालांकि, पार्टी महासचिव व प्रवक्ता केसी त्यागी ने सामान्य शिष्टाचार बताया है। उनका कहना है कि पीएम मोदी से सीएम नीतीश के वैचारिक मतभेद जस के तस हैं।