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Zoom App पर लग सकती हैं पाबंदी, सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर केंद्र से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर कहा गया है कि वीडियो कांफ्रेंसिंग Zoom App से लोगों का डाटा लीक होने और साइबर अपराध में इस्तेमाल होने की आशंका है। याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि कोर्ट सरकार को निर्देश दे कि इस बात की जाँच हो और जब तक जांच नहीं हो जाती इस एप्प के इस्तेमाल पर रोक लगनी चाहिए।

पेशे से प्राइवेट ट्यूटर, दिल्ली के हर्ष चुघ ने याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि जूम ऐप सुरक्षित नहीं है। इसमें एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन नहीं है जो आईटी एक्ट का उल्लंघन है।

याचिका में कहा गया है कि खुद ज़ूम के CEO एरिक युआन ने सार्वजनिक रुप में स्वीकार किया है ज़ूम एप्प का डेटा सुरक्षित नहीं है। प्रिवेसी को लेकर कई कमियां हैं। ज़ूम अमरेकी ऐप है लेकिन इसका सर्वर चीन में है।

LONDON, UK – April 2nd 2020: Zoom video conference app icon on a mobile device with silhouette of a padlock

जूम ने अमेरिकन कॉरपोरेट मंत्रालय को जो जानकारी दी उसके मुताबिक इस एप्लीकेशन के रिसर्च और डेवलपमेंट का काम चीन में 700 कर्मचारियों ने मिल कर किया। यानी दुनिया के 20 करोड़ लोग जो जूम का इस्तेमाल कर रहे हैं उनका सारा डेटा चीन के पास है।

याचिका में कहा गया है कि सुरक्षा और गोपनीयता के इस खतरे को भांपते हुए गृह मंत्रालय और साइबर सुरक्षा से जुड़ी देश की बड़ी संस्था सीईआरटी ने अप्रैल में एडवाइजरी जारी करके कहा था कि अमेरिका में ही इसके खिलाफ मुकदमा कर दिया गया है। बावजूद इसके हमारे देश में जूम एप्प का इस्तेमाल धडल्ले से हो रहा है।

देशव्यापी लॉक डाउन के चलते आजकल न केवल स्कूल – कॉलेज की ऑनलाइन क्लासेज ज़ूम एप्प के जरिये हो रही हैं, बल्कि तमाम बड़ी बड़ी कम्पनियों और औद्योगिक समूहों की मीटिंग भी ज़ूम ऐप्प के जरिये हो रही है। जबकि सिंगापुर, ताइवान और जर्मनी जैसे देश ज़ूम ऐप पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल, स्पेस एक्स और स्मार्ट कम्युनिकेशन जैसी कंपनियों ने जूम ऐप का इस्तेमाल बंद कर दिया है।