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योगी सरकार के तीन साल : सेहत को मिली सेहतमंद स्वास्थ्य सेवाएं

 

लखनऊ। योगी सरकार ने अपने तीन साल के कार्यकाल में जिन क्षेत्रों पर फोकस किया है, उसमें स्वास्थ्य सेक्टर भी अहम है। सरकार ने चिकित्सा सेवा की गुणवत्ता में सुधार करने के साथ चिकित्सा शिक्षा को भी बेहतर बनाने की पहल की है। इसके साथ ही इस बात पर जोर दिया कि स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ वास्तव में पात्रों तक पहुंच सके।

इंसेफ्लाइटिस से मौतों में 81 प्रतिशत की कमी

बीते तीन सालों में स्वास्थ्य सेक्टर में किए कार्यों पर नजर डालें तो इसमें अहम सफलता इंसेफ्लाइटिस जैसी गंभीर बीमारी को रोकने में कामयाबी हासिल करना है। इस बीमारी से होने वाली मौतों में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। चार दशकों से मासूमों के लिए काल बनी इंसेफ्लाइटिस के मामलों में विगत तीन वर्षों में 56 प्रतिशत की कमी आई है और मौत के आकड़ों में 81 प्रतिशत की कमी आई है।

एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस का 1.61 लाख मरीजों ने किया प्रयोग

प्रदेश में पहली बार एडवांस लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस सेवा के द्वारा गंभीर रोगियों के इलाज की व्यवस्था की गई। वर्तमान में संचालित 250 एंबुलेंसों के द्वारा दिसम्बर 2019 तक 1.61 लाख लाभार्थियों को सेवाप्रदान की गई है। प्रदेश में पहली बार नेशनल मोबाइल मेडिकल यूनिट द्वारा स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के लिए 170 एमएमयू 53 जनपदों में क्रियाशील है, जिसके द्वारा दिसम्बर 2019 तक 16.19 लाख लाभार्थियों को सेवा प्रदान की गई है।

मुख्यमंत्री आरोग्य मेला से 12 लाख लोगों को मिला उपचार

इसके अलावा दो फरवरी 2020 से सभी ग्रामीण और शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर हर रविवार को आयोजित किए जाऩे वाले मुख्यमंत्री आरोग्य मेले के जरिए समाज के अंतिम पायदान तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने के प्रयास के अंतर्गत मात्र तीन चरणों में ही 12 लाख रोगियों को उपचार प्रदान किया गया है और 20 हजार से अधिक रोगियों को चिकित्सालयों में भर्ती किया गया है।

इसके साथ ही प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना ‘आयुष्मान भारत’ के अंतर्गत 1.18 करोड़ गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये तक की नि:शुल्क चिकित्सा बीमा के माध्यम से प्रदान की जा रही है। यही नहीं सरकार ने प्रदेश के गरीबों को मुफ्त में अद्यतन इलाज और दवाइयां मुहैया कराकर उनको नया जीवन प्रदान कर दिया।

405 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हेल्थ ऐंड वेलनेस केंद्र में तब्दील

शहरी क्षेत्रों में विशेष कर मलिन बस्तियों में रहने वाले जनसंख्या को गुणवत्तापरक नि:शुल्क सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 592 नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र क्रियाशील हैं जिसमें से विगत तीन वर्षों में 405 नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को हेल्थ ऐंड वेलनेस केंद्र के रुप में तब्दील किया गया। प्रदेश में मानव संसाधन की कमी से निपटने के लिए मई 2017 में चिकित्सकों की सेवानिवृत आयु 60 साल से बढ़ाकर 62 साल की गई। इसके अलावा 11522 स्टाफ नर्स, 6916 एएनएम और 1596 कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर की तैनाती की गई है। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के अंतर्गत कुल 2.5 लाख से अधिक लाभार्थियों का पंजीकरण किया गया है और लाभार्थियों को लगभग 890.84 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।

जननी सुरक्षा योजना में 19.23 लाख संस्थागत प्रसव

जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत प्रदेश में गर्भवती महिलाओं का राजकीय चिकित्सा इकाइयों में वर्ष 2017-18 में 25.55 लाख, 2018-19 में 25.72 लाख और साल 2019-20 में दिसम्बर 2019 तक 19.23 लाख संस्थागत प्रसव कराए गए और उन्हें जननी सुरक्षा योजना का लाभ प्रदान किया गया है। अस्पतालों में दवाओं की उपलब्धा सुनिश्चित करने के लिए उत्तर प्रदेश मेडिकल सप्लाइज कॉरपोरेशन लिमिटेड स्थापित किया गया है। वर्तमान में 296 औषधियां ईडीएल में सूचीबद्ध हैं।

तीन साल में बने 15 नए मेडिकल कॉलेज

वहीं उत्तर प्रदेश में आजादी के बाद सात दशक में यूपी की 23 करोड़ आबादी के लिए सिर्फ 12 राजकीय मेडिकल कालेज थे, पर योगी सरकार के तीन साल के कार्यकाल में रिकॉर्ड 15 नए मेडिकल कॉलेज बने। इन मेडिकल कॉलेजों में से प्रत्येक में शैक्षिक सत्र 2019-2020 इनमें से आठ मेडिकल कॉलेज निर्माणाधीन है। इसके अलावा और 13 जिलों में मेडिकल कालेज निर्माण को इसी वित्त वर्ष में स्वीकृति दी गई है। सरकार दो सालों में 45 जिले मेडिकल कॉलेज व संस्थान से आच्छादित हो जाएंगे।

गोरखपुर और रायबरेली एम्स में ओपीडी चालू

इसके साथ ही सरकार के प्रयासों से गोरखपुर और रायबरेली में एम्स का निर्माण कार्य प्रगति पर है। इन दोनों एम्स में ओपीडी चल रही है और एमबीबीएस की 50-50 सीटों पर दाखिला भी हो चुका है। लखनऊ में पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में एक नए चिकित्सा विश्वविद्यालय की स्थापना का कार्य प्रगति पर है।

मातृ मृत्यु दर में 30 प्रतिशत गिरावट

स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के नाते ही उत्तर प्रदेश में वर्ष 2014 में मातृ मृत्यु दर 285 प्रति लाख के मुकाबले वर्ष 2019 में घटकर यह दर 201 प्रति लाख रह गई है। मातृ मृत्यु दर में सबसे ज्यादा 30 प्रतिशत गिरावट लाने के लिए उत्तर प्रदेश को भारत सरकार की ओर से एमएमआर अवार्ड से नवाजा गया। वर्ष 2014 में शिशु मृत्यु दर 48 प्रति हजार के मुकाबले वर्ष 2019 में 41 प्रति हजार रह गई।

स्वास्थ्य सुविधाओं में हुए उल्लेखनीय कार्य

प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह के मुताबिक लोगों को गुणवत्तापरक चिकित्सीय सुविधाएं प्रदान करने के लिए वर्तमान प्रदेश सरकार कार्य योजना बनाकर काम कर रही है। स्वास्थ्य सुविधाओं में उल्लेखनीय कार्य हुए हैं, जिनको जनता स्वयं महसूस कर रही है।

स्वास्थ्य क्षेत्र का हुआ कायाकल्प, चिकित्सक भी महसूस कर रहे बदलाव

वहीं उप्र प्रान्तीय चिकित्सा सेवा संघ के पदाधिकारी एवं राजधानी के सिविल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आशुतोष कुमार दुबे ने बताया कि स्वास्थ्य सेक्टर आम जनता से सीधे तौर पर जुड़ा होने के कारण इसमें किए सकारात्मक उपायों का असर साफ देखने को मिलता है। तीन साल में चिकित्सा क्षेत्र में काफी सुधार हुए हैं। इसकी फेहरिस्त काफी लम्बी है। बेहतर सुविधाएं और माहौल मिलने से सरकारी चिकित्सक भी बदलाव महसूस कर रहे हैं।

एमबीबीएस और पोस्ट ग्रेजुएशन (पीजी) की सीटें बढ़ी हैं। नए मेडिकल कॉलेज का सृजन हुआ। बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर इंद्रधनुष टीकाकरण का शुभारंभ किया गया। दवाओं में परदर्शी नीति बनाने के लिए ड्रग कारपोरेशन की स्थापना की गई।

इसी तरह स्वास्थ्य सेवा में होने वाले खर्च को कम करने और लोगों को सभी तरह की दवाइयां सस्ते दामों पर उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्र खोले गए। 108, 102 इमरजेंसी सेवा में और अधिक एंबुलेंस को शामिल किया गया। गांवों में संक्रामक रोगों पर नियंत्रण के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की गई। चिकित्सा महकमे में लगे शासकीय कर्मचारियों का समय-समय पर प्रमोशन और मानदेय में बढ़ोत्तरी की गई। लोक सेवा आयोग और एनएचएम के तहत चिकित्सकों की कमी पूरी करने का सतत प्रयास किया जा रहा है।

स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए जिला अस्पतालों में डीएनबी कोर्स (डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड) की शुरुआत की गई। मंडल स्तरीय चिकित्सालयों में ट्रामा सेंटर की स्थापना और किडनी रोग से पीड़ित मरीजों के लिए मुफ्त डायलिसिस की सुविधा दी जा रही है। साथ ही सीटी स्कैन भी नि:शुल्क कर दिया गया। मरीजों को बाहर डिजिटल एक्स-रे कराना पड़ता था। उनकी जेब ढीली होती थी। अब उन्हें यह सुविधा जिला अस्पताल में ही मिल रही है। पैथालॉजी को पीपीडी मॉडल पर आधुनिकृत किया गया।