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शमशेरा पिटी क्यों? इस फिल्म को दर्शकों का वो प्यार क्यों नहीं मिला जिसकी उम्मीद फिल्म बनाने वालों और उससे जुड़े लोगों को थी?

इंस्टाग्राम पर आपका दर्द भरा पैगाम देखा कि किस तरह लोगों ने शमशेरा फिल्म को लेकर नकारात्मक बोला और लिखा और किस तरह आप लोगों की मेहनत की कद्र नहीं हुई। आपने ये भी बताया कि कोई फिल्म कितने जज्बे और मेहनत से बनती है और उसमें कितना खून-पसीना जाता है। आपने लिखा कि – ‘फिल्म की आलोचना वे लोग भी कर रहे हैं जिन्होंने फिल्म देखी ही नहीं है।  इस पैगाम में आपने बताया है कि किस तरह डायरेक्टर करण मल्होत्रा ने आपसे अग्निपथ फिल्म में कांचा चीना का यादगार रोल कराया। आपने ये भी लिखा कि रणबीर कपूर कितने प्रतिभाशाली और मेहनती हैं। आपको दुख है कि ‘इस समय के सबसे मेहनती और प्रतिभाशाली कलाकारों में से एक रणबीर कपूर से नफरत करने के लिए लोग किस कदर बेताब हैं। संजय दत्त जी, ये सही है कि शमशेरा को लेकर फिल्म जगत को काफी उम्मीदें थीं। बॉलीवुड के सबसे बड़े बैनर यशराज फिल्म्स ने इस के लिए टीम जोरदार बनाई थी।

डायरेक्शन करन मल्होत्रा को सौंपा गया, जो इससे पहले अग्निपथ (2012) जैसी कामयाब फिल्म दे चुके हैं और ब्रदर (2015) से लेकर मैं हूं ना (2004), जोधा अकबर (2008) और माई नेम इज खान (2010) तक से जुड़े रहे हैं। रणबीर कपूर का भी जलवा रहा है। वाणी कपूर भी सुंदर मानी जाती हैं। डांस भी अच्छा करती हैं। फिल्म में उनसे काफी नाच-गाने भी कराए गए हैं। फिल्म से स्पेशल इफेक्ट देखकर लगता है कि इसे बनाना काफी खर्चीला रहा होगा। फिल्म लगभग 5000 स्क्रीन में रिलीज की गई. रिलीज के हफ्ते में कोई और फिल्म इससे कंपीट भी नहीं कर रही थी। लेकिन शमशेरा फिल्म वैसा बिजनेस नहीं दे पाई जिसकी उम्मीद फिल्म बनाने वाले को रही होगी। ये निराशा इसलिए भी गहरी है क्योंकि शमशेरा एक फॉर्मूला फिल्म है। ये वैसी फिल्म है जिनकी कामयाबी की परंपरा रही है। इसमें नाच-गाना, मार-धाड़, रोमांस, क्रूर और बदमाश विलेन, देह प्रदर्शन, झूठ पर सच की जीत, मां की ममता, तीस-चालीस लोगों पर एक हीरो के भारी पड़ने का स्टंट, लोकेशन वगैरह सब है। फिर ये फिल्म पिटी क्यों? इस फिल्म को दर्शकों का वो प्यार क्यों नहीं मिला जिसकी उम्मीद फिल्म बनाने वालों और उससे जुड़े लोगों को थी।