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जानिये क्या होता है अंतरिम बजट और आम बजट में अंतर, क्या इस बजट में जनता को मिलेगी कोई राहत

लोकसभा चुनाव से पहले कल संसद में नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ से अंतरिम बजट पेश किया जाएगा। इसके पहले सरकार की तरफ से 5 बार आम या पूर्ण बजट पेश किए गए लेकिन इस बार चुकी लोकसभा का चुनाव होना है ऐसे में सरकार को अंतरिम बजट पेश करना है।

क्या है आम या पूर्ण बजट

संविधान में किए प्रावधानों के मुताबिक केन्द्र सरकार प्रति वर्ष अपने कार्यकाल का वार्षिक लेखा-जोखा संसद में पेश करती है। इस लेखा-जोखा में जहां एक तरफ वह अपनी वार्षिक आमदनी बताती है वहीं दूसरी तरफ वह अपने एक साल के खर्च का पूरा उल्लेख करती है। इस पूरे लेखा-जोखा को आम बजट या पूर्ण बजट कहा जाता है।

क्या है अंतरिम बजट या मिनी बजट

संविधान के मुताबिक केन्द्र सरकार पूरे एक साल के अलावा आंशिक समय के लिए भी यह लेखा-जोखा संसद में पेश कर सकती है। यदि सरकार अपने राजस्व और खर्च का यह लेखा-जोखा कुछ माह के लिए पेश करे तो उसे अंतरिम बजट अथवा वोट ऑन अकाउंट की संज्ञा दी जाती है। अंतरिम बजट को लेखाअनुदान मांग और मिनी बजट भी कहते हैं।

 

जहां पूर्ण बजट में केन्द्र सरकार पूरे एक साल के राजस्व की स्थिति के साथ खर्च की ब्यौरा देती वहीं इस पूर्ण बजट के लिए संसद से अनुदान तिमाही अथवा छमाही आधार पर ही लेती है और इसके लिए पूर्ण बजट के बाद भी वह वोट ऑन अकाउंट का इस्तेमाल करती है।

वोट ऑन अकाउंट आम तौर पर केन्द्र सरकार चुनावी वर्ष में करती है। संसदीय प्रणाली के मुताबिक संसद में बजट 1 फरवरी को पेश करना होता है। यह बजट सरकार आने वाले वित्त वर्ष के लिए देती है। लेकिन चुनावी वर्ष में यह महत्वपूर्ण हो जाता है सत्तासीन सरकार अपने खर्च और राजस्व का ब्यौरा सिर्फ चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक सीमित रखे। जिससे नई सरकार गठन होने के बाद वित्त वर्ष के बचे हुए समय के लिए वह अपना आम बजट लेकर आ सके।

अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट में भी थोड़ा अंतर होता है। दोनों ही कुछ ही महीनों के लिए होते हैं। हालांकि दोनों के पेश करने के तरीके में अंतर होता है। अंतरिम बजट में केंद्र सरकार खर्च के अलावा राजस्व का भी ब्यौरा देती है, जबकि लेखानुदान में सिर्फ खर्च के लिए संसद से मंजूरी मांगती है।

वित्त मंत्रालय ने साफ किया कि 2019-20 के लिए सरकार पूर्ण बजट नहीं, बल्कि अंतरिम बजट पेश करेगी। इस बात की चर्चाएं थीं कि सरकार परंपरा के विपरीत पूर्ण बजट पेश करने जा रही है। अंतरिम बजट पेश होने की स्थिति में नई सरकार के गठन के बाद जुलाई में शेष वित्त वर्ष के लिए अनुपूरक बजट पेश करना होगा।

अंतरिम बजट में कई दिलचस्प घोषणाएं हो सकती हैं। इनमें संभवतः कृषि क्षेत्र के संकट को दूर करने के साथ-साथ मध्यवर्ग को टैक्स में राहत देने के प्रयास शामिल होंगे। दरअसल सरकार के सामने अगले आम चुनाव की चुनौती है जिसे किसानों एवं मध्यवर्ग की विशाल आबादी का दिल जीतकर आसान बनाया जा सकता है।