Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

दो साल पहले कानून बनने के बावजूद राज्य जीएसटी का गठन क्यों नहीं हुआ-हाईकोर्ट

 

 

 

 

प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने केंद्र व राज्य सरकार से पूछा है कि दो साल पहले कानून बनने के बावजूद राज्य जीएसटी अधिकरण का गठन क्यों नहीं किया जा रहा है। 2017 में कानून बन गया और राज्य अधिकरण अभी तक नहीं बन सका, जिसके कारण भारी संख्या में हाई कोर्ट में याचिकायें आ रही है। कोर्ट ने दो सप्ताह में केंद्र व राज्य सरकार से जानकारी मांगी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति एस.डी सिंह ने मेसर्स के पैन फ्रेगरेंस प्रा.लि गाजियाबाद की याचिका पर दिया है। याचिका टैक्स पेनाल्टी को लेकर विभागीय अपील पर पारित आदेश के खिलाफ दाखिल की गयी है। याची की तरफ से राज्य सरकार के जवाबी हलफनामे का प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल किया गया। जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार के अधिवक्ता वी.के पांडेय को जवाब दाखिल करने का दो सप्ताह का समय दिया है।

गुड़गांव से गाजियाबाद तम्बाकू पान मसाला लाया गया। ट्रक आने में एक दिन की देरी हुई, जिस पर टैक्स विभाग ने ट्रक जब्त कर टैक्स के बराबर पेनाल्टी लगायी है। याची ने कहा कि ड्राइवर बीमार हो गया था। सो जाने के कारण गाजियाबाद आने में देरी हुई, दो ट्रिप नहीं की है। किन्तु टैक्स विभाग ने नहीं माना और टैक्स चोरी के आरोप में कार्यवाही की है। कोर्ट ने कहा राज्य अधिकरण होता तो ऐसे मामले हाईकोर्ट न आते। पूछा कि अधिकरण क्यों नहीं गठित हो रहा है। भारत सरकार के अधिवक्ता कृष्ण जी शुक्ल ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने राज्य अपीलीय अधिकरण प्रयागराज में गठन का प्रस्ताव जीएसटी काउन्सिल को भेजा है, जिस पर केंद्र सरकार विचार कर रही है।

इसी मामले में अवध बार एसोसिएशन की जनहित याचिका को तय करते हुए लखनऊ खण्डपीठ ने प्रयागराज में राज्य अधिकरण गठन के प्रस्ताव को रद्द कर पूर्व में लखनऊ में गठन के प्रस्ताव के तहत केंद्र व राज्य सरकार को फैसला करने का निर्देश दिया है, जिसके विरुद्ध केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल करने पर विचार कर रही है। इसी मामले में विचाराधीन टॉर्क फार्मास्युटिकल केस की सुनवाई न्यायमूर्ति भारती सप्रू तथा न्यायमूर्ति आर आर अग्रवाल की खंडपीठ 19 जुलाई को करेगी। कोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से राज्य अधिकरण के गठन के लिए उठाये गये कदमों की जानकारी मांगी है।

मालूम हो कि राज्य सरकार ने लखनऊ में राज्य अधिकरण व 19 एरिया बेंच गठन का प्रस्ताव भेजा था। हाईकोर्ट में याचिका दाखिल हुई। कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के मद्रास हाईकोर्ट बार एसोसिएशन केस के फैसले के तहत इलाहाबाद में राज्य अधिकरण होना चाहिए। राज्य पुनर्गठन अधिनियम में भी इलाहाबाद हाईकोर्ट को प्रदेश का हाईकोर्ट घोषित किया गया है। लखनऊ में पीठ है। हाईकोर्ट के हस्तक्षेप पर राज्य सरकार ने पुराने प्रस्ताव पर पुनर्विचार कर प्रयागराज में राज्य अधिकरण व 4 नगरों में एरिया पीठ गठित करने का प्रस्ताव, जीएसटी काउन्सिल को भेजा है। जिस पर केंद्र सरकार विचार कर रही है। कोर्ट का कहना है कि प्रदेश में राज्य अपीलीय अधिकरण होना चाहिए और सरकार का दायित्व है कि अधिकरण शीघ्र गठित करे।