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महाराष्ट्र में दही हांडी होगा या नहीं? सीएम बोले- स्वास्थ्य जरूरी, भाजपा ने मांगी परमिशन

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महाराष्ट्र का दही हांडी फेस्टिवल पूरी दुनिया में मशहूर है। गली-गली में होने वाले इसके आयोजनों के दौरान बड़े पैमाने पर भीड़ जुटती है। वहीं इसे देखने के लिए देश और दुनिया से लोग आते हैं। हालांकि इस बार दही हांडी के आयोजन पर संशय है। कृष्ण जन्माष्टमी पर होने वाले इस आयोजन पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने जो संकेत दिए हैं, उससे दही हांडी का आयोजन होना तय नहीं लग रहा। सोमवार को सीएम ने दही हांडी त्योहार के आयोजकों से कहा कि राज्य को कुछ समय के लिए त्योहारों को किनारे रखकर कोरोना वायरस संक्रमण को पूरी तरह समाप्त कर उदाहरण पेश करना चाहिए।

आयोजकों के साथ हुई वर्चुअल बैठक 
सोमवार को महाराष्ट्र में दही हांडी के आयोजकों की वर्चुअल बैठक दी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि महामारी के दौरान लोगों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। जन्माष्टमी के त्योहार पर दहीहांडी उत्सव का आयोजन होता है। माखन-मिश्री से भरी हांडी को ऊंचाई पर टांगा जाता है और युवा मानव पिरामिड बनाकर उसे तोड़ते हैं। महाराष्ट्र में इस उत्सव को राजनीतिक संरक्षण मिला हुआ है और विभिन्न राजनीतिक दल दही हांडी उत्सव का आयोजन करते हैं। गोविंदा (हांडी तोड़ने वाले) के लिए इनाम की घोषणा करते हैं। इस बीच मुख्यमंत्री ऑफिस से जारी बयान के अनुसार, दही हांडी के आयोजक भी ठाकरे की अपील के पक्ष में हैं और वे जन्माष्टमी के अवसर पर स्वास्थ्य संबंधी गतिविधियों के आयोजन के पक्ष में हैं। 

भाजपा कर रही शर्तों के साथ आयोजन की मांग 
हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने कुछ शर्तों के साथ पारंपरिक तरीके से दहीहांडी उत्सव के आयोजन को अनुमति देने की मांग की है। भाजपा विधायक आशीष शेलार ने कहा कि जिन्होंने कोविड टीके की दोनों खुराक लगवाई है उन्हें कम ऊंचाई पर बिना भीड़-भाड़ के पारंपरिक तरीके से दहीहांडी के आयोजन की अनुमति दी जाए। उत्सव पर प्रतिबंध नहीं लगना चाहिए। बैठक में ठाकरे ने कहा कि कोविड महामारी ने लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पर तमाम पाबंदियां लगा दी हैं। उन्होंने कहा कि यह पाबंदियां लोगों के कल्याण के लिए हैं। सिर्फ कुछ ही लोग इन पाबंदियों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। उन्हें कोरोना वायरस के खिलाफ प्रदर्शन करना चाहिए, सरकार के खिलाफ नहीं।
 

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