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Video:’हल्दीराम’ नमकीन का कारनामा फलाहारी में छेड़ा ‘उर्दू’ राग

खाने पीने की कंपनी में राम का नाम जिसका नाम हल्दीराम लेकिन ये क्या भाई । राम का नाम जोड़कर व्रत वालो के खाने के लिए फलाहारी नमकीन भी बना डाली यहां तक तो ठीक था लेकिन उस फलाहारी नमकीन को कैसे बनाया गया है उसमे क्या पड़ा है क्या नही ये जानने के लिए पहले आपको मियां भाई के पास जाना पड़ेगा.. वही आपको बता पाएंगे क्योंकि इस फलाहार को व्रत में खाने वाले हिन्दू लोगो को इस बारे में जान पाना उनके बस की बात नही.. और यदि जानना है तो पहले मदरसा जाईये और वहाँ उर्दू सिख कर आईये तभी आपको पता चल पाएगा कि हल्दीराम जैसे पवित्र नाम की कंपनी के बनाये गए फलाहार के बदले आप क्या कहा रहे है क्योंकि इसकी जानकारी जिस भाषा मे आपको इसके पैकेट पर लिख कर आपको दी जा रही है वो फलाहार खाने वालों से कोसो दूर है। आप हिन्दू आपके व्रत हिन्दू देवी देवताओं के लिए कंपनी में राम का नाम हिन्दूवाद को दर्शाता हुआ और उसका प्रोडक्ट हिंदुओं के व्रत में खाया जाने वाला फलाहार लेकिन उसकी जानकारी उर्दू में ।। चौक गए न आप भी ।।। जी हां ये बात हमे भी थोड़ी अजीब लगी लेकिन ये बात सौ टका सच है । व्रत रखने वाला जिसको उर्दू नही आती फलाहार के रूप में क्या खा है ये बस मिया भाई ही बता पाएंगे क्योंकि कंपनी वाले भी कुछ भी बताने को तैयार नही है की आखिर क्यों हिन्दू देवी देवताओं को पूजने वाले को अल्लाह को मानने वाले मुस्लिम की भाषा में फलाहारी दिया जा रहा है|

आपको बता दे कि खाने पीने के सामान जैसे स्नैक्स, नमकीन, मिठाई जैसी चीजें बनाने के लिए जानी जाने वाली कंपनी हल्दीराम व्रत के खाने को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों के गुस्से का शिकार हो रही है. सोशल मीडिया पर लोगों ने #Haldiram के साथ इसके एक पैकेट की तस्वीर शेयर करना शुरू कर दी है. इस नाराजगी की वजह यह है कि यहां पर बिकने वाले व्रत के खाने के पैकेट पर डिस्क्रिप्शन उर्दू में दिया गया है. लोग अब इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं.

धोखा दे रहा हल्दीराम?

इस मामले में लोगों का सवाल यह है कि क्या हल्दीराम अपने व्रत वाले खाने में कोई ऐसी चीज मिला रहा है जिसे वह लोगों से छिपाना चाहता है? क्या हल्दीराम अपने धार्मिक और व्रत रखने वाले कस्टमर्स को धोखा दे रहा है. यहां एक ट्वीट में लिखा है कि इस प्रकार के उर्दू लेखन ने नवरात्रि के दौरान उपवास करने वाले हिंदुओं को धोखा दिया है. वहीं कुछ लोगों ने हल्दीराम को बायकॉट करने की मांग की है और कुछ का कहना है कि हल्दीराम को इस मामले में माफी मांगनी चाहिए. लेकिन चंद लोग ऐसे भी हैं जो उर्दू को भारतीय भाषा बताकर इस पैकेट पर लिखी लाइन को सही मान रहे हैं. तो वही कुछ लोग बोल रहे है कि
ये तो भला वही काम हो गया कि मुख में राम और बगल में छुरी।

हल्दीराम के विवाद

साल 2015 में कंपनी का बुरा वक़्त तब आया, जब संयुक्त राज्य अमेरिका में फूड एंड ड्रग विभाग द्वारा इसके उत्पादो में कीटनाशक की अधिक मात्रा होने के कारण इसे अपने देश में बेन कर दिया गया. इस प्रकार इस वक़्त कंपनी की छवि धूमिल हुई, परंतु बाद में एक व्यापक निरीक्षण के बाद महाराष्ट्र शासन द्वारा कंपनी को क्लीन चिट दी गई. इसके लिए कंपनी के विभिन्न उत्पादों का परीक्षण किया गया और पाया गया, कि इसमें सभी उत्पाद सीमा के अंदर है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है.

कैसे एक नमकीन बन बैठी जाना माना नाम ‘हल्दीराम’ ?

हल्दीराम आज दुनिया के 80 से भी ज्यादा देशों में अपनी पहुंच रखता है। जो कि आज के समय मे काफी लोकप्रिय नमकीन ब्रांड है हल्दीराम भुजियाँ सेव, हल्दीराम की सोहन पपड़ी और अन्य कई प्रकार के नमकीन और स्नेक्स का स्वाद हमारी जुबान पर चढ़ा हुआ है। एक दुकान से शुरू हुई कंपनी अब देश की सबसे बड़ी स्नैक्स कंपनी गई है। हल्दीराम ने पेप्सिको को पीछे छोड़कर देश की सबसे बड़ी स्नैक कंपनी का दर्जा दो दशक से अधिक समय के बाद वापस हासिल कर लिया है। Haldiram के मालिक गंगाबिशनजी जी अग्रवाल हैं। इन्होने हल्दीराम की शुरुआत साल 1937 में राजस्थान के जिले बीकानेर से की थी। और आज हल्दीराम दुनिया भर में अपना नाम बना चुका है। फिलहाल हल्दीराम का कारोबार इस वक़्त शिवकिशन अग्रवाल जी देख रहे है जिसका की हेडक्वॉर्टर नागपुर महाराष्ट्र में है ।

कुछ भी बोलने को तैयार नही हल्दीराम !

अब भला हल्दीराम जैसी बड़ी कंपनी ऐसा क्यों कर रही है क्यों हिंदुओ को व्रत का फलाहार बता कर मुस्लिमो की भाषा बोलने पर मजबूर कर रही है । ये हिंदू धर्म के लोगो की आस्था और विश्वास के साथ खिलवाड़ नही तो और क्या है। और जिसका जवाब कंपनी खुद भी नही दे रही है।