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अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे को लेकर यूएन की आपात बैठक आज

– संयुक्त राष्ट्र महासचिव ताजा स्थिति से सदस्यों को अवगत कराएंगे

-रविवार को नाटकीय घटनाक्रम में काबुल पर तालिबान का कब्जा
-राष्ट्रपति के देश छोड़कर भागने की खबर से लोगों में अफरातफरी
-अमेरिकी फौज की वापसी में की गयी जल्दीबाजी को लेकर सवाल

नई दिल्ली। अफगानिस्तान पर तालिबानी लड़ाकों के कब्जे के बाद पूरी दुनिया इस भूभाग में सुरक्षा को लेकर चिंतित हो गयी है। आज सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् (यूएनएससी) में इसे लेकर आपात बैठक बुलायी गयी है।

एस्टोनिया और नॉर्वे के अनुरोध पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आज बुलाई गई बैठक में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस परिषद के सदस्यों को राजधानी काबुल सहित पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद पैदा हुई स्थिति से अवगत कराएंगे।
इससे पूर्व संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने शुक्रवार को भी तालिबान से अफगानिस्तान में तत्काल हमले रोकने का अनुरोध करते हुए गृहयुद्ध खत्म करने के लिए संवाद का रास्ता अपनाने की अपील की थी।
गौरतलब है कि अफगानिस्तान की स्थिति पिछले एक सप्ताह से ज्यादा खराब होने लगी थी। जब तालिबानी लड़ाके अफगानिस्तान के बड़े शहरों पर कब्जा करते हुए राजधानी काबुल की तरफ बढ़ रहे थे। दुनिया भर में कयास लगाए जा रहे थे कि तालिबान को काबुल पर कब्जा करने में कड़ी मशक्कत और कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा लेकिन रविवार को जिस तरह के घटनाक्रम हुए, उसने पूरी दुनिया को चौंका दिया।

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश छोड़कर भागने की खबरों के बीच अल-जजीरा न्यूज नेटवर्क के वीडियो फुटेज में तालिबान लड़ाकों के एक बड़ा समूह राजधानी काबुल स्थित राष्ट्रपति भवन के भीतर नजर आ रहा है। तालिबान की तरफ से अफगानिस्तान पर अपने कब्जे की घोषणा की गयी।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे की खबर ने सभी की नींद उड़ा दी है। बड़ी संख्या में लोग बैंकों से अपनी जमा पूंजी लेकर देश के भागने की जुगत भिड़ाते रहे। बैंकों के बाहर लंबी-लंबी कतारें देखी गयीं। हालांकि देश से बाहर निकलने वालों को मायूसी हुई क्योंकि काबुल हवाई अड्डे से वाणिज्यिक उड़ानें बंद हैं।

उल्लेखनीय है कि 11 सितंबर 2001 को अमेरिका में आतंकी हमले के बाद अमेरिका की अगुवाई वाले सैन्य दलों ने तालिबान को अफगानिस्तान की सत्ता से उखाड़ फेंका था। इन 20 वर्षों की लंबी लड़ाई के बाद अमेरिकी सेना के अफगानिस्तान से निकलने के चंद रोज बाद ही अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया।

हालांकि अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज की वापसी के जो बाइडेन के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं। बड़ी संख्या में ऐसा मानने वाले लोग हैं जो अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। ऐसे लोगों का कहना है कि फौज की वापसी में अमेरिका ने अतिरिक्त रूप से जल्दी कर दी जिससे तालिबान का हौसला आसमान पर पहुंच गया।

पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प ने इसे लेकर सवाल उठाते हुए दावा किया कि अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज की वापसी का उनका दूसरा प्लान था। हालांकि ट्रम्प ने अपने शासनकाल में ही अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों की वापसी का प्लान तैयार किया था लेकिन उसके बाद सत्ता आए जो बाइ़डेन ने 31 अगस्त तक अफगानिस्तान से सभी अमेरिकी सैनिकों की वापसी का ऐलान कर दिया था।