Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

खत्म होते पानी के स्रोत को बचाने के लिए डेरा सच्चा सौदा चलाएगा आंदोलन: पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां

बरनावा।/ सिरसा, । (सतीश बंसल) पूज्य गुरू संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने वीरवार को
उत्तर प्रदेश के जिला बागपत स्थित शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा से आॅनलाइन गुरूकुल के माध्यम
से देश-विदेश में बैठी साध-संगत को अपने अनमोल वचनों से सरोबार किया। साथ में इस दौरान पूज्य
गुरु जी ने साध-संगत को पानी के खत्म होते स्रोत को बचाने का प्रण दिलाया और पानी बचाने के लिए
एक मुहिम या आंदोलन चलाने का आह्वान किया। इस अवसर पर राजस्थान के हनुमानगढ़, पंजाब के
सुनाम व उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में हजारों लोगों को सामाजिक बुराईयों व नशों से छुटकारा दिलाते हुए
उन्हें गुरुमंत्र दिया। इस दौरान सूरजपुर ब्लॉक (नोएडा) के शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर फोर्स विंग

के जवानों ने मेरठ से लापता युवक को परिजनों के सुपुर्द किया।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि आज का इन्सान कुदरत की बनाई गई चीजों को बर्बाद करने पर तुला हुआ
है। जीने का सबसे बड़ा स्रोत पानी और हवा है। अगर गांव से कोई इन्सान पहली बार महानगरों में जाएगा
तो उसे खींच-खींच के सांस लेना पड़ेगा। इसका कारण पॉल्यूशन का अत्याधिक मात्रा में बढऩा है। हवा में
जहर घुलता जा रहा है। शरीर में 70 से 90 प्रतिशत के करीब पानी होता है। वो पानी के स्रोत अब नीचे
चले जा रहे है। इन्सान को इसकी कोई फिक्र नहीं है। बिना वजह पानी की बबार्दी करता जा रहे है, बिना
कोई वजह से इन्सान पानी का खात्मा करता जा रहा है। जो शरीर के लिए अति-अति जरूरी है। पूज्य गुरु
जी ने कहा कि ऐसे ख्याल इन्सान को तभी आएंगे, जब वह थोड़ा बहुत समय मालिक की याद में
लगाएगा। वरना किस को इनका ख्याल है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि महानगरों में पड़ोसी पड़ोसी को नहीं
जानता। उसकी तरफ ध्यान नहीं देता कोई।

पूज्य गुरु जी ने कहा कि इस कारण सारी सृष्टि के बारे में साचने वाले (वैैज्ञानिक) परेशान हो रहे है,
लेकिन इन्सान मस्ती मनाता जा रहा है। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि पानी के बारे में उन वैज्ञानिकों से
पूछ के देखो, जो डर रहे है कि अगर पानी का स्रोत खत्म हो गया तो कहीं पानी के लिए विश्व युद्ध ना हो
जाए। क्योंकि वैज्ञानिकों को इसके बारे में पता चल रहा है। लेकिन कुदरत के कादिर
को कौन समझ सका है। अगर इन्सान कुदरत के कादिर को समझ पाते तो जो भूंकप से नुकसान हो रहे
है, वो कभी होते ही नहीं, अगर कोई कुदरत के कादिर के उसूलों को पकड़ पाता तो कभी समुन्द्री तुफान
आते ही नहीं। कभी कोई दुर्घटनाएं होती ही ना। प्रकृति की आपदाएं आती ही ना। यह तभी संभव था जब
अगर इन्सान प्रकृति से छेड़छाड़ ना करें। पूज्य गुरु जी ने कहा कि हमने 1997 में इसकी पहल की थी,
जोकि जरूरत भी थी। जब विभिन्न राज्यों में डेरा सच्चा सौदा के आश्रम बनाए गए थे, वहां मकान बनाने
थे, लेकिन उन जगहों पर  पेड़-पौधे थे। इसके लिए हमने पेड़ को काटने की बजाए एक जगह से दूसरी
जगह शिफ्ट किया था। एक भी पेड़ खत्म नहीं होने दिया। वो पेड़ आज भी ज्यौं के त्यौं चल रहे है। पूज्य
गुरु जी ने कहा कि जिस प्रकार इन्सान अपने शरीर की संभाल करता है, उसी प्रकार पेड़-पौधों की भी
संभाल करनी चाहिए। पूज्य गुरु जी ने कहा कि 6 करोड़ से अधिक डेरा सच्चा सौदा के सत्संगी को हमने
आह्वान कर रखा है कि जिस प्रकार वो अपने बच्चों की संभाल करते है, ठीक उसी प्रकार पेड़-पौधों की
संभाल करों और साध-संगत इसकी संभाल कर भी रही है। इसके अलावा साध-संगत साल में 12 पेड़
जरूर लगाती भी है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि अगर सभी लोग ऐसा करने लग जाए तो ये कुदरत का स्वर्ग
फिर से लहलाने लग जाएगा और हम गारंटी देते है कि प्राकृतिक आपदाएं आनी कम हो जाएगा तथा


विनाश की तरफ जा रही दुनिया शायद-शायद-शायद परमपिता परमात्मा की कृपा से बच पाए और ओम,
हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड,खुदा, रब्ब, ईश्वर कर दें और ये सृष्टि बची रहे। पूज्य गुरु जी आगे कहा कि
पानी का भी स्रोत अति जरूरी है संभालना। पूज्य गुरु जी ने कहा कि पानी बचाने के लिए हमने सिरसा के
शाह सतनाम जी धाम में एक बहुत बड़ी डिग्गी बनाई हुई है। उसके लिए खर्चा भी ज्यादा नहीं किया था।
जहां तक हमें याद है नीचे हमने दोमट मिट्टी बिछाई थी और साइडों में शायद दीवार आदि की थी।
बरसात के दौरान पूरे आश्रम का पानी उस डिग्गी में भर जाता था तथा फिर उसी पानी को फिल्टर करके
खेतों में फव्वारा और ड्रिप सिस्टम से पानी देते थे। जिससे हमने वहां बाग-बगीचे कामयाब कर रखे है।
———————–
पूज्य गुरु जी ने कहा कि इन्सान यह कहता है कि उसके पास समय नही है। लेकिन इन्सान खाने का
समय चूकने नहीं देता, पीने का समय चूकने नही देता, कमाने का समय चूकने नहीं देता और कोई भी
ऐसा कार्य जो शरीर से संबंध रखता हो, परिवार से संबंध रखता हो, उसके लिए समय निकालता ही
निकालता है। यहां तक की जो कार्य नहीं करने चाहिए। जैसे ठग्गी, बेइमानी, भ्रष्टाचार, काम-वासना,
क्रोध, लोभ, मोह, अंहकार, मन, माया उनके लिए भी टाइम निकाल रखा है। लेकिन अगर उसे समय नहीं
है तो ओम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब, राम की भक्ति, इबादत के लिए नहीं है। भगवान को
समय ना देने की वजह से समय ने इन्सान का बुरा हाल कर रखा है। इन्सान ने प्रभु की प्रकृति से छेड़छाड़

कर रखी है औैर प्रकृति इसका वापिस बदला ले रही है। क्योंकि कुदरत के कादिर ने क्या खूबसूरत इस
जमीं पर स्वर्ग बना रखे है, अलग-अलग तरह के। मैदानी इलाकों में जाइए, सरसों के जो खेत होते है उस
पर जब आप निगाह मारते है, कभी ऊपर से निगाहा मारी हो, यूं लगता है जैसे क्या खूबसूरत पीले रंग का
कालीन बिछा हुआ है, क्या धरती ने श्रृंगार कर रखा है, वो एक अलग तरह का स्वर्ग है। धरती पर चावल
की खेती होती है, अगर उसकी तरफ निगाह मारते है तो यूं लगता है जैसे किसी ने खूबसूरत हरे रंग का
गलीचा बिछा रखा है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि देखने का सभी का नजरिया अलग-अलग होता है। हमने
राजस्थान के टीलों के ऊपर चढ़कर देखा है, जिसमें कुदरत के कादिर ने क्या खूबसूरत डिजाइन बना रखा
है, क्या उनकी धार होती है और हवा चलने पर उनके अलग ही निशान बने होते है। वो भी एक अलग तरह
का स्वर्ग है। बस देखने का नजरिया होना चाहिए। पहाड़ी इलाके में जाए तो अपने आप में एक अलग तरह
का स्वर्ग है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि कितने गिनाए उस कुदरत के कादिर द्वारा बनाए गए स्वर्ग गिनाने
लग जाए तो कम पड़ जाते है। इसके लिए पशु, पक्षी, परिंदे सभी के लिए। लेकिन उनका लुत्फ व नजारा
सबसे ज्यादा मनुष्य लेता है। क्योंकि मनुष्य इन चीजों को समझता है, इंज्वाय करता है, उसे खुशी आती
है यह सब देखकर। लेकिन बड़ा दर्द होता, दुख होता है जब यहीं इन्सान प्रभु की बनाई जन्नत जैसी चीजों
को बर्बाद करता है। वहां पर इन्सान अपने नए-नए डिजाइन के मकान बनाता जा रहा है। कंकरीट के
महल बनते जा रहे है। पूज्य गुरु जी ने कहा कि कुदरत बिना वजह कोई चीज नहीं बनाता। सभी की
अपनी-अपनी वजह होती है। सभी का अपना-अपना कारण होता है। लेकिन इन्सान इनमें दखलदांजी कर
रहा है।