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ये है अजीबोगरीब परम्परा, जहाँ नई नवेली दुल्हन हो 5 दिन रहना पड़ता है निर्वस्त्र…

दुनिया में कई अजीबोगरीब परम्परा हैं जिनको सुन कर शायद कई बार ह्यामारे पैरों तले जमीन खिसक जाती है. कुछ तो इतनी शक्त परम्परा होती हैं जिनके बारे में सुन हर ही दर लगती है. जैसे किया महिलाओं के ब्रेस्ट प्रेस कर दिय जातें हैं तो कहीं महिआलों को उनकी पवित्रता साबित करने के लिए शव के साथ सोना पड़ता है.

आखिर ऐसी अजीबोगरीब परम्परा माहिलाओं के हिस्से क्यों? अगर ये सवाल किसी से किया जाए तो शायद इन दर्दनाक परम्परा को पूजने वाके भी कोई अंधविश्वास ही बतायेंगे. आज हम आपको एक एक ऐसी पपरम्परा के बारे में बताने जा रहें हैं जिसमे नहीं दुल्हन को 5 दिन तक बिना कपड़ों के रहना पड़ता है.आइये जानतें हैं क्या है ये परम्परा और क्या है इसका पीछे का सच…

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यहां की है ये परम्परा 

वर्षों से इस गांव में ये परंपरा चली आ रही है जिसमें शादी के बाद पत्नी को निवस्त्र रहना पड़ता है. ये प्रथा हिमाचल प्रदेश के गांव में कई सदियों से चली आ रही है. इस प्रथा में ना केवल लड़की को अजीबोगरीब नियमों का पालन करना पड़ता है बल्कि पुरुष भी शादी के 5 दिन बाद तक शराब को हाथ तक नहीं लगा सकते हैं.

इसके अलावा पति-पत्नीएक दूसरे से हंसी मजाक भी नहीं कर सकते और पत्नी को 5 दिन तक पूरे समय निर्वस्त्र रखा जाता है. दुल्हन को इसके अलावा शादी के बाद कई बंदिशों में बांध दिया जाता है जिसमें से एक के अनुसार महिलाएं सिर्फ ऊन से बने पट्टू ही पहन सकती हैं.

इन पांच दिन है कर सकते हंसी मजाक 

इसके अलावा पति-पत्नी एक दूसरे से हंसी मजाक भी नहीं कर सकते और पत्नी को 5 दिन तक पूरे समय निर्वस्त्र रखा जाता है. दुल्हन को इसके अलावा शादी के बाद कई बंदिशों में बांध दिया जाता है जिसमें से एक के अनुसार महिलाएं सिर्फ ऊन से बने पट्टू ही पहन सकती हैं.

ये है मान्यता

इस गांव में इन प्रथाओं को भगवान के डर से पूरा किया जाता है. गांव वालों का मानना है कि अगर उन्होंने ये प्रथाएं नही मानी तो भगवान उनसे गुस्सा हो जाएंगे और गांव पूरी तरह से तबाह हो जाएगा.

भगवान के इस डर से पति-पत्नी को एक-दूसरे से सावन के 5 दिनों में भी दूर रखा जाता है. आपको बता दें कि ये परंपरा इस गांव में सदियों से चली आ रही है. इस देव प्रथा को लोग डर और आस्था की वजह से मानते हैं. इन गांव के लोगों में अंधविश्वास इतना भरा हुआ है कि इन्हें इस बात का अंदाजा नहीं है कि दुल्हन को निर्वस्त्र रख कर कौन से भगवान उनसे प्रसन्न होंगे.

गांव की सभी महिलाओं को इस प्रथा का पालन करना पड़ता है अन्यथा उनको और उनके परिवार वालों को गांव से बहिष्कार करके निकाल दिया जाता है.