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श्रीलंका में आया भारी आर्थिक संकट वहां के लोग सेविंग्स और गोल्ड तक बेचना पर मजबूर हो रहे है ।

कोलंबो, अप्रैल 09। श्रीलंका में आया भारी आर्थिक संकट लगातार गंभीर रूप लेता जा रहा है। इसकी कारण अब वहां के स्थानीय लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हर चीज के दाम आसमान छू रहे हैं। ऐसे में लोगों को अब अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए अपनी सेविंग्स और गोल्ड तक बेचना पर मजबूर हो रहे है ।

यहां के लोग अपनी जरूरतों के लिए सोना तक बेचने के लिए तैयार हो गए हैं। इस कारण 22 कैरेट शुद्धता वाले 10 ग्राम सोने की कीमत 1,85,000 रुपये तक पहुंच गई है। वहीं 24 कैरेट में 10 ग्राम गोल्ड 1,95,000 में बिक रहा है। दुकानदारों का कहना है कि कुछ लोगों के पास बुनियादी खर्चों के लिए पैसे नहीं हैं, इसलिए वे सोना बेच रहे हैं।

कोलंबो के सबसे बड़े और सबसे प्रसिद्ध कोलंबो गोल्ड सेंटर में गोल्ड के मालिकों का कहना है कि उनके देश में अब स्थिति वाकई बहुत दयनीय हो चुकी है और इसीलिए लोग अब अपने दैनिक खर्चों को पूरा करने केलिए सोना बेचने पर मजबूर हो रहे हैं। यहां सोने की खरीद करने वाले एक व्यापारी ने बताया कि हमने श्रीलंका में इस तरह का संकट कभी नहीं देखा है। विक्रेता खरीदारों से ज्यादा हैं।

क्योंकि श्रीलंका की मुद्रा ऐतिहासिक निचले स्तर पर आ गई है। आपको बता दें कि श्रीलंका की करेंसी इस वक्त दुनिया में अभी तक के सबसे अधिक निचले स्तर पर है। श्रीलंकाई रुपया शनिवार को आधिकारिक तौर पर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 315 तक कम हो गया। इसकी वजह से सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव होने लगा। लोग सोना बेचने के लिए इसलिए मजबूर हो रहे हैं, क्योंकि उन्हें अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करना है।

कोलंबो, अप्रैल 04: आर्थिक संकट में फंसे श्रीलंका में जनता के गुस्से को कुचलने के लिए श्रीलंकन सरकार ने देश में भले ही आपातकाल लगा दिया हो, लेकिन अब श्रीलंका की सरकार डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश करती दिखाई दे रही है और श्रीलंका के राष्ट्रपति ने देश की तमाम विपक्षी पार्टियों को सरकार में शामिल होने का न्योता दिया है।दशकों में श्रीलंका के सबसे खराब संकट के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने देश के सभी राजनीतिक दलों को समाधान खोजने के लिए ‘एकता सरकार’ में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। समाचार एजेंसी एएफपी ने बताया कि राष्ट्रपति राजपक्षे ने विपक्ष से “एक साथ काम करने” का आह्वान किया है। राष्ट्रपति के मुताबिक, देश की स्थिति संभालने के लिए सभी पार्टियों को एक साथ आकर एक सामूहिक सरकार बनाकर काम करने की जरूरत है। श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के मंत्रिमंडल के सभी 26 मंत्रियों के पद छोड़ने के बाद श्रीलंका का संकट काफी खराब हो गया है और राष्ट्रपति को नया कैबिनेट बनाकर उसमें नये चेहरों को शामिल करने की इजाजत भी मिल गई है। जनता के बढ़ते गुस्से के बीच राजपक्षे परिवार को हटाने की मांग भी काफी तेज है और पूरे द्वीप में विरोध प्रदर्शन करने के लिए हजारों लोगों सड़कों पर उतरे हुए हैं और सरकार द्वारा लगाया गए कर्फ्यू को लोगों ने तोड़ दिया है

श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के बेटे, नमल राजपक्षे, उन मंत्रियों में से हैं, जिन्होंने अपने कैबिनेट पदों से इस्तीफा दे दिया है। ट्विटर पर इस्तीफा देने के बाद उन्होंने लिखा कि, “मैंने सचिव को सूचित कर दिया है। और मैं राष्ट्रपति से अपील करता हूं, कि तत्काल प्रभाव से सभी विभागों से मेरे इस्तीफे को मंजूर किया जाए”। उन्होंने आगे लिखा कि, श्रीलंका की स्थिति को संभालने और लोगों तक फौरन सहायता पहुंचाने में मेरा यह कदम प्रधानमंत्री और देश के राष्ट्रपति की मदद कर सकता है। मैं अपने मतदाताओं, अपनी पार्टी और हंबनथोटा के लोगों के लिए प्रतिबद्ध हूं।

कैबिनेट मंत्रियों के पद छोड़ने के एक दिन बाद, श्रीलंकाई केंद्रीय बैंक के गवर्नर अजित निवार्ड काबराल ने भी सोमवार को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। इस बीच, एएफपी की एक रिपोर्ट के अनुसार, शेयर बाजार में 5.9 प्रतिशत की गिरावट के बाद अधिकारियों ने सोमवार को श्रीलंका के स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार रोक दिया है। पिछले कुछ दिनों में श्रीलंका के आर्थिक संकट ने तीव्र मोड़ ले लिया है। सरकार ने शुक्रवार को आपातकाल घोषित करने के बाद लगभग 15 घंटे के लिए फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया साइटों को ब्लॉक कर दिया था। लेकिन, इसके बाद भारी आक्रोश के बाद रविवार को प्रतिबंधों को हटा लिया गया। एक स्थानीय समाचार रिपोर्ट के अनुसार, इस कदम का उद्देश्य “घंटों की बिजली कटौती के बीच भोजन, आवश्यक, ईंधन और दवा की कमी से पीड़ित जनता को राहत प्रदान करने में सरकार की विफलता का विरोध करने के लिए कोलंबो में जनता को इकट्ठा होने से रोकना था।”

राजधानी कोलंबो में गुरुवार को राष्ट्रपति भवन के बाहर भारी विरोध देखा गया है और अभी भी श्रीलंका के कई हिस्से में लोग भारी प्रदर्शन कर रहे हैं और देश के राष्ट्रपति गोतबया राजपक्षे और उनके भाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे से भी इस्तीफा देने की मांग कर रहे हैं। वहीं, श्रीलंका की सरकार देश की अर्थव्यवस्था को संभालने में बुरी तरह से नाकाम साबित हो रही है और विदेशी मुद्रा भंडार खत्म होने की वजह से विदेशों से सामान खरीद नहीं पा रही है। श्रीलंका में जरूरत की सामानों की भारी किल्लत है लोगों को 100-100 ग्राम दूध खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जबकि देश में महंगाई ने तमाम रिकॉर्ड्स तोड़ दिए है।वहीं, इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी टीम ने राजधानी कोलंबो में एक सुपरमार्केट का दौरा किया है।

श्रीलंका में 220 रुपए किलो चावल मिल रहा है : दैनिक किराने के सामान के लिए श्रीलंका के लोगों को कितना खर्च करना पड़ता है। हाल के हफ्तों में सब्जियों की कीमतें वहां दोगुनी हो गई हैं। जबकि चावल और गेहूं जैसे अनाज क्रमश 220 रुपये प्रति किलोग्राम और 190 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बिक रहे हैं।श्रीलंका में एक किलोग्राम चीनी 240 रुपये में मिल रही है, जबकि नारियल तेल 850 रुपये प्रति लीटर के भाव पर मिल रहा है। एक अंडे की कीमत 30 रुपये है। दूध पाउडर का एक किलो पैक अब 1900 रुपये में बिक रहा है।