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पंडित दीनदयाल के विचार देशवासियों को सदैव प्रेरित करते रहेंगे

भारत के महान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापक प्रखर राष्ट्रवादी भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद नामक विचारधारा से जोड़ने वाले महान देशभक्त पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती आज पूरे देश भर में मनाया जा रहा है l

जीवन परिचय-

पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितम्बर 1916 को जयपुर के धानक्या गांव में हुआ था l उनके पिता का नाम भगवती प्रसाद उपाध्याय था, जो रेलवे में सहायक स्टेशन मास्टर थे l 3 वर्ष की उम्र में पिता और 7 वर्ष की उम्र में माता का निधन हो जाने के बाद दीनदयाल का प्रारंभिक शिक्षा बहुत ही संघर्ष से प्राप्त की उन्होंने 8वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद कल्याण हाईस्कूल, सीकर, राजस्थान से दसवीं की परीक्षा में बोर्ड में प्रथम स्थान प्राप्त किया l

1937 में पिलानी से इंटरमीडिएट की परीक्षा में पुनः बोर्ड में प्रथम स्थान प्राप्त किया l 1939 में कानपुर के सनातन धर्म कालेज से बी०ए० की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की l अंग्रेजी से एम०ए० करने के लिए सेंट जॉन्स कालेज, आगरा में प्रवेश लिया और प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुये l प्रशासनिक सेवा में चयन होने के बावजूद भी दीनदयाल उपाध्याय ने अंग्रेजों की नौकरी करना शिकार नहीं किया

आजीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे दीनदयाल उपाध्याय-

कानपुर से b.a. करने के दौरान साल 1937 में अपने सहपाठी बालूजी महाशब्दे की प्रेरणा से दीनदयाल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में आये। इस दौरान उन्होंने संघ का दो वर्षों का प्रशिक्षण पूर्ण किया और आजीवन संघ के जीवनव्रती प्रचारक हो गये l

भारतीय जन संघ के महामंत्री थे दीनदयाल उपाध्याय-

21 अक्टूबर 1951 को डॉ० श्यामाप्रसाद मुखर्जी की अध्यक्षता में ‘भारतीय जनसंघ’ की स्थापना हुई। जिसका प्रथम अधिवेशन कानपुर में 1952 में हुआ l इस दौरान पंडित दीनदयाल उपाध्याय को भारतीय जन संघ का महामंत्री बनाया गया l पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नेतृत्व में इस अधिवेशन के दौरान 15 प्रस्ताव पारित किए गए जिसमें से 7 प्रस्ताव खुद पंडित दीनदयाल ने प्रस्तुत किया था l

श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने दीनदयाल के लिए कहे थे यह शब्द-

भारतीय जनसंघ के प्रथम अधिवेशन के दौरान पंडित दीनदयाल उपाध्याय की कार्यकुशलता और उनकी क्षमता से प्रभावित होकर कहा- “यदि मुझे दो दीनदयाल मिल जाएं, तो मैं भारतीय राजनीति का नक्शा बदल दूँ।”

भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे दीनदयाल उपाध्याय-

अपने कार्य कुशलता और क्षमता के बल पर साल 1967 में कालीकट अधिवेशन में पंडित दीनदयाल उपाध्याय को भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया l लेकिन दीनदयाल महज 43 दिन ही जनसंघ के अध्यक्ष रहे l

पंडित दीनदयाल उपाध्याय :राष्ट्र निर्माण में अपना जीवन समर्पित कर दिया| उनके विचार देशवासियों को सदैव प्रेरित करते रहेंगे-पीएम मोदी

“एकात्म मानव दर्शन के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। उन्होंने राष्ट्र निर्माण में अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनके विचार देशवासियों को सदैव प्रेरित करते रहेंगे।”

 

cm योगी ने कहा-

एकात्म मानववाद एवं अंत्योदय दर्शन के प्रणेता, भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य और कुशल संगठनकर्ता श्रद्धेय पं. दीनदयाल उपाध्याय जी को उनकी जयंती पर कोटिशः नमन।

श्रद्धेय दीनदयाल जी का दर्शन ‘आत्मनिर्भर भारत’ की संकल्पना को साकार करने हेतु हमारा मार्ग प्रशस्त करता है।