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पूर्व सैनिक को मिला न्याय, सेना कोर्ट ने केन्द्र सरकार को दिव्यांगता पेंशन देने का दिया आदेश

लखनऊ। सशस्त्र बल अधिकरण की लखनऊ पीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए पूर्व सैनिक को दिव्यांगता पेंशन देने का आदेश केन्द्र सरकार को दिया है। इस मामले में जवान ने कानूनी लड़ाई लड़ी, जिसके बाद उन्हें आखिरकार न्याय मिला।

ये था पूरा मामला

रायबरेली निवासी अमित कुमार सिंह वर्ष 2002 में सेना में भर्ती हुए थे। उनको सन 2018 में लगभग 16 वर्ष की नौकरी के बाद गंभीर बीमारियां हो गईं। इसके बाद सेना के मेडिकल बोर्ड ने उनको कार्य मुक्त कर दिया। वादी ने भारत सरकार और रक्षा मंत्रालय के सामने अपील भी की लेकिन उसे सिरे से ख़ारिज कर दिया गया। इसके बाद अमित कुमार सिंह ने वर्ष 2021 में सशस्त्र बल अधिकरण की लखनऊ पीठ में वाद दायर किया।

सेना कोर्ट ने दिया आदेश

सुनवाई के दौरान वादी का पक्ष जोरदार दलीलों के साथ रखते हुए अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने कहा कि यदि किसी भी सैनिक में सैन्य-सेवा के दौरान शारीरिक या मानसिक दिव्यांगता आती है तो उसमें युद्ध-क्षेत्र और शांति-क्षेत्र एवं स्वयं डिस्चार्ज होने की मांग करना और उस आधार पर डिस्चार्ज किया जाना। उसकी दिव्यांगता पर कोई प्रभाव नहीं डालता। जिसके बारे में उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय और सशत्र-बल अधिकरण ने कई निर्णय पारित किए हैं।

विपक्षी के अधिवक्ता ने भारत सरकार और रक्षा-मंत्रालय का पक्ष रखते हुए दलील दी कि वादी युद्ध क्षेत्र में नहीं था। जिसके कारण यह मान लिया जाए कि उस दबाव और तनाव की वजह से यह बीमारी हुई, इसलिए वादी का वाद जुर्माना सहित ख़ारिज करने योग्य है, लेकिन खण्ड पीठ ने पूर्व में सरकार द्वारा जारी किए गए आदेशों को दरकिनार करते हुए 75 प्रतिशत दिव्यांगता पेंशन चार महीने के अंदर देने का फैसला सुनाया। साथ में यह भी कहा कि यदि सरकार निर्णय का अनुपालन नियत समय में नहीं करेगी तो उसे 8 प्रतिशत ब्याज भी वादी को देना होगा। इस मामले की सुनवाई न्यायधीश उमेश चन्द्र श्रीवास्तव और अभय रघुनाथ कार्वे की खण्ड-पीठ ने की।