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किसानो के साथ हिंसक हमले का बर्ताव, बीजेपी को पड़ सकता है महंगा…गंवानी पड़ सकतीं हैं सीटें…

लखनऊ: जैसा की आप जानतें हैं अब आम चुनाव को महज़ कुछ ही महीने बाकी है जिसके चलते हर राजनीतिक पार्टी दूसरी पार्टी पर प्रत्यारोप लगाती नजर आ रही है… दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले ‘किसान क्रांति यात्रा’ सत्तारूढ़ बीजेपी की परेशानियां बढ़ा सकती है।

आंदोलन करने वाले अधिकांश किसान उत्तर प्रदेश से आए थे, जिनमें ज्यादा संख्या जाटों की थी। 2014 के चुनाव में जाटों ने बीजेपी को वोट किया था।

 मौजूदा समय में जिस तरह का बर्ताव बीजेपी सरकार ने उनके साथ किया, उससे वह नाराज हैं। जिसके चलते वह आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी से किनारा कर अलग राह चुन सकते हैं।

इस समुदाय से बीजेपी बना सकता है दूरी

जाटों का अधिक झुकाव राष्ट्रीय लोकदल से रहा है। कैराना उपचुनाव में महागठबंधन की उम्मीदवार रालोद की तबस्सुम हसन की जीत हासिल की थी। उनकी जीत ने साबित कर दिया कि जाट समुदाय महागठबंधन के साथ है।

जाटों के अलावा इन इलाकों में मुस्लिम समुदाय की अच्छी तादाद है। एेसे कयास लगाए जा रहे हैं कि जाट और मुस्लिम समुदाय बीजेपी से दूरी बना सकता है। एेसे हालात में केंद्र सरकार के कुछ मंत्रियों को अपनी सीट से हाथ धोना पड़ सकता है।