नई दिल्ली। सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक केसों के तेजी से निपटारे के लिए विशेष कोर्ट बनाने के मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी राज्य जनप्रतिनिधियों के केस बिना हाईकोर्ट की अनुमति के वापस न ले। मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी।
कोर्ट ने केंद्र की तरफ से विस्तृत जवाब न आने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने केंद्र सरकार की गंभीरता पर सवाल उठाया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए अंतिम मौका दिया। कोर्ट ने कहा कि सभी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की सुनवाई जारी रखें। कोर्ट उनके उन मामलों के जल्द निपटारे की निगरानी के लिए स्पेशल बेंच गठित करेगा।
सुनवाई के दौरान इस मामले में ईडी की स्टेटस रिपोर्ट अखबारों में छपने पर नाराजगी जताई और कहा कि मीडिया को सब कुछ पहले मिल जाता है। एजेंसी कोर्ट को कुछ नहीं देती। ईडी के हलफनामे में केवल आरोपितों की सूची है।
दरअसल, इस मामले के एमिकस क्युरी विजय हंसारिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि यूपी सरकार मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपित बीजेपी विधायकों के खिलाफ 76 मामले वापस लेना चाहती है। कर्नाटक सरकार विधायकों के खिलाफ 61 मामलों को वापस लेना चाहती है। उत्तराखंड और महाराष्ट्र सरकार भी इसी तरह केस वापस लेना चाहती है। उसके बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि कोई भी राज्य जनप्रतिनिधियों के केस बिना हाईकोर्ट की अनुमति के वापस न ले।