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फैट कम करना चाहतें हैं तो जरूर ध्यान रखें ये बातें

फैट अतिरिक्त कैलोरी होती है जो कि हमारे शरीर में चर्बी के रुप में जमा हो जाती है. इसके कारण हम काफी भद्दे दिखने लगते हैं और जो पहनना चाहते हैं, जो खाना चाहते हैं वो बी हम नहीं कर पाते हैं. फैट सिर्फ मोटापा ही नहीं बढ़ाता बल्कि हार्मोन्स का संतुलन भी बिगाड़ देता है.

हार्मोन्स के कारण ही फैट हमारी भूख, मेटाबॉलिज्म, हड्डियों की मजबूती, रिप्रोडेक्टिव ऑर्गन्स,इम्यून सिस्टम और साथ ही दिमाग के विकास पर भी बुरा असर डालता है. अगर आपका फैट बढ़ रहा है तो आपको इसके बारे कुछ फैक्ट्स पता होने चाहिए जिनके बारे में हम बताने जा रहे हैं.  

फैट रक्त संचरण को भी प्रभावित करता है

शरीर में जमा फैट को भी बने रहने के लिए ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की जरुरत होती है. ऐसे में फैट में नई केशिकाएं पैदा हो जाती है जिनसे दिमाग को संकेत जाता है और दिमाग खून के माध्यम से पोषक तत्व, ऑक्सीजन फैट जमा फैट में भेजता है.

फैट घटाने से भूख बढ़ती है

फैट लेप्टिन हार्मोन का उत्पादन करता है जो कि खून के माध्यम से दिमाग तक पहुंचते हैं और भूख को प्रभावित करते हैं. जब फैट कम होता है तो लेप्टिन का स्तर भी कम हो जाता है जिससे भूख बढ़ जाती है. इसलिए फैट को कम करने के प्रोसेस में भूख बढ़ जाती है और अधिक भूख लगती है.

फैट कम करने से मेटाबॉलिज्म भी कम हो जाता है

फैट का जमा होना इसीलिए शरीर के लिए बुरा माना जाता है क्योंकि फैट के कम होने पर लेप्टिन हार्मोन का स्तर भी कम हो जाता है. लेप्टिन हार्मोन के कम होने से मेटाबॉलिज्मक का स्तर भी कम हो जाता है इसीलिए एक बार चर्बी घटाने के बाद लोगों के दोबारा मोटा होने का खतरा बढ़ जाता है.

फैट मूड को प्रभावित करता है

फैट हैप्पी हार्मोन के स्तर को कम करता है जिससे तनाव बढ़ जाता है. अनहेल्दी फैट मूड को प्रभावित करता है और तनाव व डिप्रेशन का शिकार बना देता है.