पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के सामने भयंकर संकट आ गया है। संकट इस बात को लेकर है कि आठ मार्च को महिला दिवस पर औरत मार्च को परमीशन दी जाये या नहीं। हालांकि कोर्ट ने महिला मार्च को कुछ शर्तों के साथ परमीशन दे दी है लेकिन सरकार के सामने दुविधा है। क्यों कि इमरान खान जिन तालिबान समर्थक कट्टरपंथियों के कंधों पर बैठकर कुर्सी तक पहुंचे हैं वो ‘औरत मार्च’ को शरिया के खिलाफ बताते हुए विरोध कर रहे हैं। इसी को लेकर सरकार और आवाम में घमासान मचा हुआ है। पाकिस्तान में औरत मार्च को लेकर हालात इतने खतरनाक हो चुके हैं कि कट्टरपंथियों ने कहा है कि वो औरत मार्च को रोकने लिए अपनी कुर्बानी भी देने के लिए तैयार हैं।
पाकिस्तान में ‘औरत मार्च’ के खिलाफ कई समूह सामने आए हैं। कुछ महिलाओं ने भी लाहौर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि ‘इसमें अनैतिकता की बातें होती हैं।’ इन महिलाओं ने मार्च पर रोक लगाने की मांग नहीं करते हुए कहा कि महिला दिवस के अवसर पर होने वाले इस मार्च के आयोजकों से कहा जाए कि वे महिला अधिकारों के मुद्दे को सम्मेलनों आदि के जरिए उठाएं।
मार्च के खिलाफ दायर याचिका में कहा गया कि यह मार्च ‘इस्लामी उसूलों के खिलाफ है। इसका छिपा एजेंडा अश्लीलता और नफरत फैलाना है। इसे राज्य विरोधी तत्वों का समर्थन हासिल है जिनका उद्देश्य केवल अराजकता फैलाना है।’
महिला संगठनों ने इन तर्कों को खारिज करते हुए कहा कि वे केवल महिला अधिकारों के पक्ष में आवाज उठाना चाह रहे हैं। कानून के दायरे में रहते हुए ही महिलाएं मार्च निकालना चाह रही हैं। किसी भी कानून के उल्लंघन का कोई सवाल नहीं है। औरत मार्च के खिलाफ सर्वाधिक मुखर दक्षिणपंथी व कट्टरपंथी संगठन हैं। जमीयत-ए-उलेमाए इस्लाम के नेता मौलाना फजलुररहमान ने अपने समर्थकों का आह्वान किया है कि वे हर हाल में इस मार्च को होने से रोकें।
हाल में एक रैली में मौलाना फजल ने ‘औरत मार्च’ का नाम लिए बिना कहा था, “जब कभी भी आप इस तरह के लोगों को देखें, सुरक्षा कर्मियों को इनके बारे में अलर्ट करें। और, अगर सुरक्षा कर्मी इन्हें ही सुरक्षा दे रहे हों तो ताकत के जोर पर इन्हें रोकने के लिए आपकी कुर्बानी की जरूरत पड़ेगी।”
पाकिस्तान की मानवाधिकार मामलों की मंत्री शीरीन मजारी ने मार्च का खुलकर समर्थन किया है। मजारी ने उन नेताओं की निंदा की है, जो इस मार्च को ताकत के जोर पर रोकने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि समाज के और तबकों की तरह महिलाओं को भी अपने हक में आवाज उठाने का अधिकार है। विपक्षी राजनैतिक दल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने मार्च को अपना पूर्ण समर्थन देने का ऐलान करते हुए इसे सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है।