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यूपी उपचुनाव बना सौ सुनार की एक लोहार की!

उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीट और बिहार की एक लोकसभा, दो विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा. यूपी में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी समर्थित उम्मीदवारों ने गोरखपुर और फूलपुर सीट भाजपा से छीन ली. गोरखपुर संसदीय सीट योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के कारण व फूलपुर सीट केशव प्रसाद मौर्या के उपमुख्यमंत्री बनने के कारण खाली हुई थी. मोदी सरकार बनने के बाद भाजपा की यह सबसे शर्मनाक हार है.

बीजेपी का हार के कारण

  1. गोरखपुर सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है, 1989 के बाद पहली बार ऐसा हुआ कि इस सीट से कोई गैर महंत मैदान में था. उपेंद्र शुक्ला को ब्राहम्ण वोट बैंक को आकर्षित करने के लिए मैदान में उतारा तो गया लेकिन उसका पार्टी को कोई खास फायदा मिल नहीं सका.
  2. गोरखपुर और फूलपुर दोनों सीटों पर मिली हार का एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि बुआ और बबुआ की जोड़ी भी बताई जा रही है. चुनाव से कुछ दिन पहले ही दोनों विपक्षी पार्टियों ने एक होने का फैसला कर लिया जिससे बिखरा हुआ वोट एक हो गया जोकि बीजेपी के लिए चिंताएं बढ़ा गया. चुनाव में मिली हार के बाद स्वयं योगी आदित्यनाथ ने भी इस बात को स्वीकारा कि अति आत्मविश्वास हमारी हार का कारण बना.
  3. फूलपुर चुनाव की बात करें तो यहां बीजेपी को मिली हार का प्रमुख कारण वहां का जातीय समीकरण रहा. फूलपुर चुनाव में दलित, पटेल और मुस्लिम निर्णायक कास्ट फैक्टर हैं. दलित 22 फीसदी तो मुस्लिम 17 और पटेल भी 17 फीसदी हैं. ऐसे में इन तीनों के वोट पाने वाला ही विनर हुआ. बीएसपी समर्थित सपा कैंडिडेट को दलित, मुस्लिम के वोट के साथ पटेल वोट भी अच्छी तादाद में मिले. वहीं बीजेपी के कैंडिडेट पटेल होने के बावजूद पटेल वोटों में ज्यादा सेंध नहीं लगा पाए.
  4. चुनाव के पहले बयानबाजी ने भी बीजेपी के लिए समस्याएं खड़ी कर दीं. कैबिनेट मंत्री नंद गोपाल नंदी ने मुलायम को रावण और मायावती को शूर्पनखा बताया था. इतना ही नहीं, योगी ने सपा-बसपा गठबंधन को सांप-छछुंदर बताया था. इस बयान के बाद दलित और ओबीसी एक जुट हो गए जिसका सीधा प्रभाव बीजेपी के वोट पर पड़ा, जो वोट पहले बीजेपी का हो सकता था वह भी उनसे दूर चला गया.