भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास पूंजी नहीं है। इस बात का खुलासा 45 केंद्रीय बैंकों की बैलेंस शीट रिपोर्ट से हुआ है। रिजर्व बैंक की ओर से सरकार को अतिरिक्त पूंजी दिए जाने की बहस के बीच एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले उसके पास पर्याप्त पूंजी नहीं है। लिहाजा उसके अधिकोष में सरकार को देने के लिए बेहद कम राशि है।
ब्लूमबर्ग ने दुनियाभर के 45 केंद्रीय बैंकों की बैलेंस शीट पर आधारित एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि घाटे की स्थिति में भारत के केन्द्रीय बैंक, आरबीआई को सरकार से ही आर्थिक मदद की जरूरत पड़ सकती है। मुंबई स्थित सेंटर फॉर एडवांस फाइनेंस रिसर्च के थिंक टैंक और ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने अपने अध्ययन में बताया है कि भारत पर बढ़ते राजकोषीय घाटे के दबाव के बीच आरबीआई को अपनी क्रियात्मक स्वायत्तता बनाए रखने के लिए अधिक पूंजी को सुरक्षित रखने की जरूरत है, जो अभी नाकाफी है।
सरकार का यह तर्क सही नहीं है कि आरबीआई को अपनी बैलेंस शीट में ज्यादा पूंजी की जरूरत नहीं है, बल्कि केंद्रीय बैंक की मालिक होने के नाते उसे आपात स्थिति में अतिरिक्त पूंजी उपलब्ध कराने की जरूरत पड़ सकती है। रिपोर्ट के लेखकों ने आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य और पूर्व गवर्नर रघुराम राजन से भी बातचीत और उसके निष्कर्षों में कहा गया कि केंद्रीय बैंक के पास अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप अधिशेष पूंजी नहीं है, बल्कि इसमें मामूली कमी ही दिखाई देती है।
पिछले साल जारी एक शोध पत्र में दावा किया गया था कि आरबीआई के पास उसकी जरूरत से 3.6 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी है। इसके बाद उस पर सरकार को अतिरिक्त पूंजी का हिस्सा सौंपने के लिए दबाव बढ़ गया था। जिस पर फैसले के लिए पिछले दिनों आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अगुवाई में छह सदस्यीय समिति बनाई गई है।
देश के 65 वरिष्ठ अर्थशास्त्रियों पर आधारित सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि 7 फरवरी को होने वाली आरबीआई की एमपीसी बैठक में रेपो रेट स्थिर रह सकता है। जबकि साल के मध्य यानी जून में होने वाली बैठक में इसमें कमी आने की संभावना है। इसके अलावा केंद्रीय बैंक मार्च में सरकार को 40 हजार करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश दे सकता है। 23 अर्थशास्त्रियों ने माना कि अगली बैठक में नीतिगत दर स्थिर रह सकती है। बता दें कि वर्तमान में आरबीआई की रेपो रेट 6.5 फीसदी है।