लखनऊ|
ऑनलाइन के बढ़ते क्रेज को देखते हुए एक से एक दिग्गज कंपनी अब नई-नई सेवाएं दे रही हैं। इसी कड़ी में घर बैठे दवाएं मगाने के चलन ने भी तेजी पकड़ी है। लेकिन अब ऐसा ज्यादा दिनों तक ना हो सकेगा। कारण दिल्ली हाई कोर्ट ने दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगा दी है। साथ ही केंद्र सरकार और दिल्ली की AAP सरकार को निर्देश दिया कि वे जल्द से जल्द इस आदेश को लागू करें।
बता दें कोर्ट ने यह फैसला दिल्ली के एक डर्मेटॉलजिस्ट जहीर अहमद की पीआईएल की सुनवाई के दौरान दिया।
खबरों के मुताबिक़ बुधवार को चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस वीके राव की बेंच ने आदेश दिया की इंटरनेट के जरिए बेची जा रहीं दवाइयों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दी जाए।
जहीर अहमद की दाखिल की PIL
- जहीर अहमद की पीआईएल में यह दलील दी गई थी कि लाखों दवाइयां इंटरनेट के जरिए बिना किसी नियम-कानून के रोजोना बेची जा रही हैं। इससे मरीज को तो खतरा है ही, डॉक्टरों के लिए भी परेशानी खड़ी हो गई है।
- पीआईएल के माध्यम से याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को बताया कि ऑनलाइन दवाइयों की सेल के संबंध में कानून भी इसकी इजाजत नहीं देता है। यह ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट, 1940 और फार्मेसी एक्ट, 1948 के बिल्कुल खिलाफ है।
- याचिका में सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। याचिका के मुताबिक दवाइयों की ऑनलाइन सेल को लेकर सरकार कुछ भी ठोस कदम नहीं उठा रही है। ऑनलाइन दवा-विक्रेता बिना लाइसेंस के दवाइयां बेच रहे हैं। कई दवाइयां ऐसी होती हैं, जिनका सेवन बिना डॉक्टरी परामर्श के नहीं किया जा सकता। लेकिन, उनकी बिक्री आसानी से उपलब्ध है।
- पीआईएल में बताया गया है कि सरकार भी इस बात से अवगत है। हालांकि, सितंबर में केंद्र सकार ने ऑनलाइन दवाइयों की बिक्री से संबंधित नियम का ड्राफ्ट तैयार किया था। जिसके मुताबिक दवाइयों की बिक्री रजिस्टर्ड ई-फॉर्मेसी पोर्टल के जरिए ही की जा सकती है।
- गौरतलब है कि भारत में ऑनलाइन रिटेल का बाजार काफी बड़ा है। तमाम ऑनलाइन कंपनियों की नज़र दवा बजार पर भी है।