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प्राच्य विद्या के आधार पर ही आधुनिक विज्ञान में होनी चाहिए नई खोज : केशरी नाथ त्रिपाठी

 

वाराणसी। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी ने कहा कि अब समय आ गया है, जब प्राच्य विद्या को आधुनिक ज्ञान विज्ञान से जोड़कर आगे बढ़ाया जाय और इसके आधार पर ही आधुनिक विज्ञान में नई खोज हो। राज्यपाल बुधवार को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय(बीएचयू) के यूजीसी सेंटर में आयोजित दस दिवसीय प्राच्य विद्याओं में अनुप्रयुक्त शोध-प्रविधि विषयक राष्ट्रीय कार्यशाला को सम्बोधित कर रहे थे।

प्राच्य विद्याओं को सरंक्षित करने पर जोर देकर उन्होंने कहा कि आज के दौर में प्रत्येक कार्य के लिए हम पश्चिम की ओर देख रहे हैं, जबकि हमारी प्राच्य विद्या इतना महत्वपूर्ण रही कि पूरा विश्व इस विद्या का लोहा मान भारत को विश्व गुरु मानता था।

उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण के दौर में भी दुनिया में विज्ञान विषय में ज्ञान का जो मूल है वह हमारे वेद और उपनिषद हैं। इन पर आज अधिक शोध की आवश्यकता है। राज्यपाल ने बीएचयू के संस्थापक भारत रत्न पं. मदन मोहन मालवीय की जमकर सराहना के बाद कहा कि महामना पर भी प्राच्य विद्याओं का गहरा प्रभाव था। शायद यही वजह है कि इस विश्वविद्यालय में प्राच्य और आधुनिक विद्याओं का संगम देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि प्राच्य विद्याओं पर महामना के विचार ही आधुनिक शोध के विषय हो सकते हैं। कार्यशाला में विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और महामना के पौत्र न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय ने मुख्य अतिथि राज्यपाल का स्वागत कर प्राच्य विद्या की महत्ता को रेखांकित किया।

बीएचयू में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में भाग लेने के बाद राज्यपाल केशरीनाथ नाथ त्रिपाठी ने बाबा विश्वनाथ के दरबार में भी हाजिरी लगाई। विधि विधान से वैदिक मंत्रोच्चार के बीच बाबा का दर्शन पूजन कर राज्यपाल ने देश के लिए मंगलकामना की।
कार्यशाला की अध्यक्षता कुलपति प्रो. राकेश भटनागर ने की। कार्यक्रम संयोजक डॉ. मिताली देव,सेन्टर के सह निदेशक डा.संजय कुमार तिवारी ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में कुलसचिव डॉ. नीरज त्रिपाठी की भी खास मौजूदगी रही।