दिल्ली के संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल के मुर्दाघर के सामने खड़े मुसर्रत के पति अकबर ये कहते हुए फूट-फूट कर रोने लगते हैं कि वो ‘मुसर्रत के बिना अपने तीन छोटे-छोटे बच्चों को कैसे संभालेंगे,मुंडका अग्निकांड में झुलसे शवों की शिनाख्त के लिए जब उन्हें बुलाया गया तो वो अपने पत्नी को उनमें नहीं खोज सक,. वो कहते हैं कि शव पहचानने लायक स्थिति में नहीं थे, मुसर्रत पिछले एक साल से नौकरी कर रही थीं, पेशे से पेंटर पति के साथ कंधे से कंधा मिलाकर वो घर चला रही थीं और तीन बच्चों, एक बीमार सास का भी पूरा ख़्याल रख रही थीं,लेकिन उनके लापता होने के बाद से घर के सभी लोग बिखर-से गए हैं, जिन लोगों की मौत हुई या जो
घायल हुए उन्हें सबसे पहले संजय गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल में ही लाया गया. यही वजह है कि परिवार वाले शुक्रवार रात से हॉस्पिटल में जमा हैं और अपनों की खोजबीन कर रहे हैं लेकिन कहीं कोई जानकारी नहीं मिल रही। बीतते हर पल के साथ परिवार के लिए मुसर्रत के ज़िंदा होने की उम्मीद धुंधलाती जा रही है. अकबर की बहन कहती हैं, “मुसर्रत की एक सहेली भी लापता है. उसका बच्चा तो और भी छोटा है. अल्लाह रहम करे… हम तो बस अब यही सोच रहे हैं कि जल्दी डीएनए हो जाए और हम शव घर लेकर जाएं