देश भर में एससी-एसटी एक्ट को लेकर विरोध जारी है, वहीं केंद्र सरकार मामले में घिरती नजर आ रही है. सोमवार को भारत बंद के दौरान हुई हिंसा ने विपक्षी दलों को एक और मौका दिया कि वो सरकार पर निशाना साध सके. बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने भी केंद्र सरकार पर जमकर वार किया, लेकिन यूपी के पूर्व डीजीपी और अब बीजेपी प्रवक्ता बृजलाल ने पुराने पन्ने पलटते हुए बसपा शासन के दौरान ही एससी-एसटी एक्ट को कमजोर करने का आरोप लगाया है.
मायावती ने किया था एससी एसटी एक्ट में संसोधन
दरअसल, जिस एससी-एसटी एक्ट को लेकर देशभर के दलितों के साथ साथ बीएसपी और तमाम दलित पार्टियां भी लगातार हंगमाा कर रही हैं, उसी एक्ट को यूपी में मायावती के शासन के दौरान ही संशोधित कर दिया गया था. यहीं नहीं इस कानून को हल्का भी किया गया था.ये जानकर आपको और भी हैरानी होगी कि यही संशोधित कानून उत्तर प्रदेश में आज भी लागू है. सीधे शब्दों में कहें तो आज भी यूपी में एससी-एसटी एक्ट देश के अन्य हिस्सों के मुकाबले अलग तरीके से लागू है, जिसके तहत अब सीधे तौर पर गिरफ्तारी नहीं होती है.
एक्ट को दुरुपयोग रोकने के लिये आदेश जारी
आपको बता दें कि 2007 में मायावती ने बतौर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के महज एक सप्ताह के भीतर ही एससी-एसटी संरक्षण एक्ट को लेकर निर्देश जारी किए थे. मायावती द्वारा जारी निर्देश में साफ कहा गया था कि केवल हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराध पर ही इस ऐक्ट के तहत मामला दर्ज होना चाहिए.मायावती ने जारी निर्देश में साफ लिखा था कि एससी-एसटी संरक्षण एक्ट में बलात्कार की शिकायत पर केवल तभी कार्रवाई होनी चाहिए जब पीड़िता की विस्तृत मेडिकल जांच में यह पीड़िता के साथ बलात्कार पुष्टि हो जाए.
मायावती द्वारा जारी आदेश में साफ लिखा था कि पुलिस को केवल दलित समुदाय के लोगो कि शिकायत पर ही कानूनी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए,क्योंकि अक्सर ऐसा देखा गया है कि लोग अपना नीजी बदला लेने के लिए इस एक्ट का दुरुपयोग करते है.मायावती द्वारा उस समय जारी एससी-एसटी संरक्षण एक्ट को लेकर निर्देश से साफ था कि मायावती लोगों के बीच यह संदेश देना चाहती है कि किसी भी तरह से इस एक्ट का निर्दोषों के खिलाफ दुरुपयोग ना हो सके.