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लखनऊ की गलियों से एक साथ निकली आवाज, लोगों ने कहा खाने का कोई धर्म नहीं

आज के इस दौर में ट्रेंड में आना बहुत आसान हो गया है। सोशल मीडिया आपके नाम को चंद घंटो में लाखों कानों में पहुंचाने का काम बखूबी जान चूका है। मध्य प्रदेश के जबलपुर के निवासी अमित शुक्ला जी का नाम इन दिनों सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग है। महीना श्रावण का है और जिस शिव ने कभी धर्म या जात देख वरदान देने का काम नहीं किया , उनके नाम पर श्रावण के इस महीने को अमित बाबू ने बदनाम कर दिया है। समय के साथ ट्रेंड बदलता है और ट्रेंड के साथ हम खुद बदलते है। जोमाटो नामक एक संस्था घर-घर आपकी मन पसंद खाना पहुंचाने का कार्य करती है। पहले आप अपनी पसंद के लिए रेस्टुरेंट या ढाबों तक जाया करते थे , अब खाना खुद आप तक पहुंचा दिया जाता है। 60 प्रतिशत से ऊपर लोग ऐसी संस्थाओं के ऐप इस्तेमाल कर खाना मंगवा रहे है। लेकिन पिछले दो दिनों में ऐसा क्या हुआ कि लोग इस ऐप को अपने एंड्रॉइड मोबाइल से डिलीट करने लगे है।

क्या है मामला

अमित शुक्ला ने जबलपुर में जोमैटो को खाने का ऑर्डर किया था। जब शुक्ला ने देखा कि खाना पहुंचाने आया व्यक्ति गैर हिंदू है, तो उसने जोमैटो से दूसरा डिलिवरी बॉय भेजने को कहा। उसने श्रावण माह के कारण गैर हिंदू से खाना लेने से मना कर दिया। साथ ही ऑर्डर निरस्त कर दिया। इस पर उसने कई ट्वीट भी किए। इस मामले ने तूल पकड़ लिया। ट्विटर पर कई अमित शुक्ला के पक्ष में आए और बहुतों ने भाई साहब की बैंड बजा दी।

अब तक जबलपुर पुलिस की करवाई

हमने एक नोटिस जारी किया है, जो अमित शुक्ला को भेजा जाएगा। उन्हें चेतावनी दी जाएगी कि अगर भविष्य में इसी तरह का कृत्य दोहराते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन पर नजर रखी जा रही है। जोमैटो का रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है। इसमें पता चला है कि अमित शुक्ला ने पूर्व में जोमैटो से हैदराबादी बिरयानी (मांसाहारी) मंगाया था और डिलिवरी बॉय गैर हिंदू था। उस समय उन्होंने कोई आपत्ति नहीं की थी। अमित ने जो किया है वह भारतीय संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है। उन्हें पाबंद करने के लिए अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) के न्यायालय में मामला दायर किया गया है। यह बयान अब तक सोशल मीडिया की दुनिया में डुबकी मार चूका हैं। सब तक जानकारी पहुँच गई हैं।

लखनऊ के डिलीवरी बॉयज का जबलपुर के मुस्लिम डिलीवरी भाई को समर्थन

निशांत सिंह ( जोमाटो डिलीवरी बॉय )

ये बिलकुल गलत बात है। जब हम खाना देने जाते समय यह नहीं देखते की कस्टमर किस धर्म का है तो ऐसे लोग क्यों देखते हैं ?

मोहम्मद सदान अंसारी ( जोमाटो डिलीवरी बॉय )

मैं भी मुस्लमान हूँ लेकिन कभी भी खाना देने जाते वक्त कस्टमर के नाम से ज्यादा उसके पते को देखता हूँ । मेरे दिमाग में यही चल रहा होता है कि कोई भूखा है और मेरी राह देख रहा है। यह हरक्कत बहुत शर्मनाक है।

मोहम्मद सलमान ( जोमाटो डिलीवरी बॉय )

खाने का कोई धर्म नहीं होता इस चीज पर मैं जोमाटो का साथ देता हूँ। हम आप तक आपकी जरुरत का खाना पहुँचाने आते है। यह हमारी रोजी रोटी है।

पंकज कुमार (स्विग्गी डिलीवरी बॉय)

यहाँ बात स्विग्गी या जोमाटो की नहीं यह गलत हुआ है। हम सब एक ही काम कर रहे है , बस संस्था अलग है। लेकिन आपके लिए कोई खाना लेकर आए और आप धर्म बटवारें का उदहारण दे तो आप खाने का अपमान कर रहे है। यह लड़का मुझे मानसिक तौर से बीमार लग रहा हैं।

कृष्णा यादव (स्विग्गी डिलीवरी बॉय)

भइया हम खाना बाटने जाते है इन चीजों पर हम ध्यान नहीं देते। जो जैसा करेगा वैसा भरेगा।

प्रदीप वर्मा (स्विग्गी डिलीवरी बॉय) –

सूने थे ऐसी कुछ खबर , अगर ऐसा हुआ है तो काफी गलत हुआ है। कितने ठेलों पर बाहर भी खाना खाते है , तब कोई ठेले वाले से नहीं पूछता किस धर्म के हो ?

लखनऊ की जनता जोमाटो डिलीवरी बॉय के पक्ष में

आशीष कुमार ( नौकरी )

समाज आज उस दिशा की ओर बढ़ रहा है जहाँ बस हम धर्म की बात को लेकर उलझे हुए है। हम उलझे रहना भी चाहते है क्यूंकि इसका सबसे बड़ा कारण है सोशल मीडिया।

फराज मिर्ज़ा (विद्यार्थी )-

मैं भी एक मुस्लमान हूँ लेकिन भगवान ने जो आपको दिया वही मुझे भी। यह बहुत ही शर्मनाक हरकत है। यह लड़का मानसिक रूप से परेशां लगता है।