नई दिल्ली। इसरो के चंद्रयान-2 मिशन को लेकर अभी भी संशय बरकरार है कि क्या यह मिशन सफल हो पाएगा या फिर इसरो को केवल 95 प्रतिशत सफलता के साथ ही संतोष करना पड़ेगा। हालांकि भारतीय वैज्ञानिक लगातार लैंडर विक्रम से संपर्क साधने के प्रयास में जुटे हुए हैं और अभी भी उनके पास इस मिशन को सफल बनाने के लिए 10 दिन का समय है।
चंद्रयान-2 के लैंडर से रविवार को इसरो का संपर्क टूट गया था, जब वह चांद की सतह से मात्र 2.1 किलोमीटर की दूरी पर ही था। जिसके बाद से अभी तक इसरो के लिए कोई भी अच्छी खबर सामने नहीं आई है। इसरो के वैज्ञानिकों ने इस मिशन को सफल बनाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। वह केवल 21 सितंबर तक ही इसको लेकर पूरा प्रयास कर सकतेहैं। क्योंकि लैंडर और रोवर को भी सिर्फ 14 दिनों तक काम करना था और 14 दिनों तक ही विक्रम को सूरज की रोशनी मिलेगी।
क्योंकि चांद की तहत बेहद ठंडी हौती है। खासकर साउथ पोल में तो तापमान माइनस 200 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। लैंडर विक्रम ने भी साउथ पोल में ही लैंड किया है। चंद्रमा का ऐसा इलाका जहां अब तक कोई भी देश नहीं पहुंचा है। जाहिर तौर पर लैंडर विक्रम भी इस दौरान माइनस 200 डिग्री तापमान में ही मौजूद है।
विक्रम से संपर्क साधने के लिए इसरो कर्नाटक के एक गांव बयालालु से 32 मीटर के एक एंटीना का इस्तेमाल कर रहा है। इसका स्पेस नेटवर्क सेंटर बेंगलुरू में है। इसरो इसके सहारे इस प्रयास में लगा हुआ है कि ऑर्बिटर के जरिए विक्रम से संपर्क साध लिया जाए। हालांकि इन सब में सबसे खास बात यह है कि लैंडर विक्रम को किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ है।