खर्राटे आना साधारण सी परेशानी है, लेकिन जब यह बीमारी बन जाती है तो गंभीर समस्या बनकर खड़ी हो जाती है। सबसे पहले बता दें कि खर्राटे आने का कारण आपके शरीर को ऑक्सिजन पहुंचाने वालों रास्तो का संकरा होना।
इसमें आपके गले का पिछला हिस्सा संकरा हो जाता है इस वजह से ऑक्सिजन संकरी जगह से होती हुई शरीर में पहुंचती है, जिससे आसपास के टिशू वाइब्रेट होते हैं और इससे आवाज़ें निकलती हैं।
कई बार लोग पीठ के बल सोते हैं, जिससे जीभ पीछे की तरफ हो जाती है। तालू के पीछे यूव्यल (अलिजिह्वा – तालू के पीछे थोड़ा-सा लटका हुआ मांस) पर जाकर लग जाती है, जिससे सांस लेने और छोड़ने में रुकावट आने लग जाती है। इससे सांस के साथ आवाज और वाइब्रेशन होने लगता है। अब आपको हम खर्राटे के इलाज के बारे में बताएंगे जिससे आपको इस बीमारी से राहत मिल सकेगी।
वजन कम करके
कभी-कभार गले में चर्बी के बढ़ने से भी खर्राटे आते हैं। क्योंकि इससे गले के ज़रिए शरीर में जाने वाली हवा गले के टिशू में कंपन पैदा करती है। जिसके लिए जरूरी है कि आप अपना वजन कम करें।
समय पर नींद लेकर
बेवक्त सोने वाले लोगों में भी खर्राटे लेने की समस्या होती है। इसीलिए रोज़ाना सही वक्त और 7 से 8 घंटों की नींद लेनी चाहिए।
दमा और सर्दी ठीक करके
अस्थमा और सर्दी से परेशान लोगों को भी खर्राटे की परेशानी होती है, क्योंकि उनकी स्वास नली संकरी हो जाती है जिससे गले से आवाज़ें आती हैं।
इलायची भी है कारगर
इलायची, श्वसन तंत्र को खोलने का काम करती है। इससे सांस लेने की प्रक्रिया सुगम होती है। सोने से पहले इलायची के कुछ दानों को गुनगुने पानी के साथ मिलाकर पीने से समस्या में राहत मिलेगी।
ऑलिव ऑयल भी है फायदेमंद
ऑलिव ऑयल एक बहुत कारगर घरेलू उपाय है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह श्वसन तंत्र की प्रक्रिया को सुचारू बनाए रखने में बहुत फायदेमंद होता है।
हल्दी का इस्तेमाल
हल्दी में एंटी-सेप्टिक और एंटी-बायोटिक गुण होते हैं। इसके इस्तेमाल से नासा-द्वार साफ हो जाता है जिससे सांस लेना आसान हो जाता है। रोज रात को सोने से पहले दूध में हल्दी पकाकर (हल्दी वाला दूध) पीने से फायदा होगा।