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ये हैं वो दो खास महिलाएं, जिनका चंद्रयान-2 को चांद के पास पहुंचाने में रहा है अहम योगदान

नई दिल्ली। चंद्रयान 2 मिशन की चर्चा तो सभी कर रहे हैं और उसके पूरी तरह से सफल न होने के कारणों के बारे में भी सब बात कर रहे हैं लेकिन बहुत ही कम लोग यह जानते होंगे कि इस मिशन को सफल बनाने के लिए हमारे इसरो के वैज्ञानिकों ने दिन रात मेहनत की है और लगातार प्रयास के बाद हम चांद के पास पहुंचे। आज हम इस मिशन से जुड़ी दो ऐसी महिलाओं के बारे में आपको बताने जा रहे हैं। जिनका इस मिशन को अंजाम देने में बहुत ही अहम रोल रहा है और उनके बारे में जानकर देश की हर बेटी को गर्व होगा।

पहली महिला वैज्ञानिक का नाम है मुथय्या वनीथा, जो कि मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं और दूसरी हैं रितु करिधल, जो कि चंद्रयान 2 की मिशन डायरेक्टर हैं। मुथय्या वनीथा सैटेलाइट कम्युनिकेशन की एक्सपर्ट हैं। वो चंद्रयान 2 मिशन से पहले भारत के पहले रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट प्रोजेक्ट कार्टोसैट 1 और ओसियन सैट 2 प्रोजेक्ट की डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर रह चुकी हैं।

वनिथा पिछले 32 साल से इसरो के लिए काम कर रही हैं। यही नहीं वो मंगलयान मिशन से भी जुड़ी रही हैं। वनिथा चंद्रयान 2 मिशन में पहली महिला प्रोजेक्ट डायरेक्टर बनी हैं। इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम इंजीनियर मुथय्या ने इससे पहले रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट के जरिए डेटा ऑपरेशन में बहुत ही महत्वपूर्ण काम किया है।

वहीं चंद्रयान 2 की मिशन डायरेक्टर रितु करिधल इस मिशन की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर थीं। उन्हंने चंद्रयान 2 के सफल प्रक्षेपण के समय एक साक्षात्कार में कहा था कि अक्सर यह कहा जाता है कि Men are from mars and women are from venus मतलब पुरुष मंगल ग्रह से आते हैं और महिलाएं शुक्र ग्रह से आती हैं। फिर मंगल अभियान की सफलता के बाद कई लोग महिल वैज्ञानिकों को मंगल की महिलाएं कहने लगे। बताते चलें कि रितु इसरो के साथ 1997 से काम कर रही हैं। 2007 में पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम से इसरो का प्रतिष्इठत यंग साइंटिस्ट का अवार्ड भी इन्हें मिल चुका है।