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यूपी की जेलों में इस वजह से परेशान हैं कश्मीरी कैदी

लखनऊः जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटने के बाद उत्तर प्रदेश के विभिन्न जेलों में बंद कैदी इन दिनों काफी परेशान हैं। बंद कैदियों ने अपने राज्य की जेलों में वापस भेजे जाने की मांग की है। उनका कहना है कि वे अवसादग्रस्त और मैदानी इलाके की गर्मी और उमस भरे मौसम को सहन कर पाने में असमर्थ हैं।

जेल विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “कई कैदियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश का मौसम उनके शरीर के अनुकूल नहीं है। उन्हें भूख नहीं लगती और वे अवसाद से पीड़ित हैं।“ कश्मीरी कैदियों ने पेट में दर्द की भी शिकायत की है। डॉक्टरों से उपचार की सुविधा लेने से पहले उन्हें अल्ट्रासाउंड परीक्षणों से गुजरना पड़ा। इनमें से कुछ कैदियों पर आजादी-समर्थक प्रदर्शनकारी होने का आरोप लगा है या ’संभावित पत्थरबाज’ करार दिया गया है।

उनके खिलाफ उनके राज्य में पुलिस मामले का कोई पुराना रिकॉर्ड नहीं है और इसलिए उन्हें आदतन परेशान करने वाला आरोपी नहीं माना जाना चाहिए। 6 अगस्त को जम्मू एवं कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद कुल 285 कैदियों को कश्मीर से आगरा, लखनऊ, वाराणसी, नैनी (इलाहाबाद), बरेली और अंबेडकरनगर की जेलों में ले जाया गया था। अधिकारी ने कहा कि वर्तमान में, जम्मू एवं कश्मीर उच्च न्यायालय द्वारा गठित एक सलाहकार बोर्ड उनके मामलों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से कर रहा है।

पिछले दो हफ्तों में कश्मीर के कुछ मुट्ठी भर आगंतुकों को जेल में बंद अपने रिश्तेदारों से मिलने की अनुमति दी गई है। अधिकारियों के अनुसार, वे बहुत से रिश्तेदारों को कश्मीरी कैदियों से मिलने की इजाजत नहीं दे सकते थे, क्योंकि ’उनके प्रमाणपत्रों को सत्यापित करने में बहुत अधिक समय लगता है’। वहीं घाटी में कम्युनिकेशन लॉकडाउन के कारण कैदी कश्मीर में रह रहे अपने परिवार वालों से संपर्क करने में भी असमर्थ हैं।