Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

केवल सुन्दर शरीर व उम्रदराज होना ज्ञान की पहचान नहीं : स्वामी राजेन्द्रानन्द जी महाराज

सिरसा 10 सितम्बर – बिश्नोई सभा सिरसा द्वारा श्री गुरू जम्भेश्वर मन्दिर सिरसा में स्थापना दिवस समारोह के
अन्तर्गत आयोजित जाम्भाणी हरिकथा व प्रवचन के तीसरे दिन हरिद्वार से पधारे श्रद्धेय स्वामी राजेन्द्रानन्द जी
महाराज ने शब्दवाणी के शब्दों की व्याख्या करते हुए बताया कि शरीर व आत्मा अलग-अलग हैं, परन्तु अज्ञानी
इस भेद को नहीं जानते तथा दुखी रहते हैं। हम जीवन तीन चीजों का अवश्य ध्यान रखें – सुवचन बोलें, सुकृत करें
व विष्णु भगवान का जप करें। स्वामी जी ने दान की महिमा बताते हुए कहा कि हम दान सुपात्र को दें, मनमुखी ना
बनें, दान देकर पछतावा ना करें तथा दिया गया दान नि:स्वार्थ भाव से होना चाहिए।

उन्होंने अहिंसा परमो धर्म:
सिद्धांत पर चर्चा करते हुए कहा कि हमें जीवों के प्रति दया का भाव रखना चाहिए। ज्ञानी पुरूषों की पहचान पर
बात करते हुए उन्होंने ऋषि अष्टावक्र का उदाहरण देते हुए कहा कि राजा जनक की सभा में उनके शरीर की रचना
देखकर पूरी सभा ने उनका उपहास किया परन्तु शास्त्रार्थ में उन्होंने सभा के तथाकथित विद्वानों को पराजित
करके संदेश दिया कि केवल शारीरिक रूप से कुरूप होने से या कम उम्र होने से किसी के ज्ञान की परख नहीं होती।
आज के दिन बिश्नोई सभा पंजाब, आदमपुर, हिसार के प्रतिनिधि सुरेन्द्र गोदारा, रमेश राहड़, अरविन्द गोदारा,
उदय सिंह भाम्भू, जाम्भाणी साहित्य अकादमी बीकानेर के प्रवक्ता विद्यावान विनोद जम्भदास के अलावा
स्थानीय सभा व सेवक दल के पदाधिकारी, कार्यकारिणी सदस्य व अन्य सभाओं के प्रतिनिधियों के साथ-साथ
भारी संख्या में पुरूष, स्त्रियां व बच्चे उपस्थित थे।