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कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी के कई नेता हिरासत में, करोड़ों की संपत्ति और 70 ठिकाने होंगे सील

जम्मू-कश्मीर में बीते कुछ समय से लगातार बढ़ रही आतंकी गतिविधियों पर लगाम कसने हेतु केंद्र सरकार और स्थानीय प्रशासन की ओर से अब सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। इस कड़ी में अब अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ बड़े स्तर पर कार्रवाई शुरू हो गई है। केंद्र द्वारा शुक्रवार को इस संगठन पर बैन लगाए जाने के बाद शनिवार को इसके कई नेताओं को हिरासत में लिया गया है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में इस संगठन की 52 करोड़ से अधिक की संपत्ति को भी सील कर लिया गया है, जिसमें 70 से अधिक परिसर भी शामिल हैं।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, संपत्‍त‍ि सील करने की कार्रवाई UAPA प्रॉपर्टी और एसेट्स प्रोविजन के तहत की जा रही है। इसके तहत जमात-ए-इस्लामी की कई संस्‍थाओं की पहचान की गई है, जिसमें कई शैक्षणिक संस्‍थाएं, दफ्तर, स्‍कूल भी शामिल हैं। बता दें कि इससे पहले भी दो बार जमात-ए-इस्लामी संगठन की गतिविधियों के कारण इसे प्रतिबंधित किया जा चुका है। पहली बार जम्मू कश्मीर सरकार ने इस संगठन को 1975 में दो साल के लिए प्रतिबंधित किया था, जबकि दूसरी बार केंद्र सरकार ने 1990 में इसे प्रतिबंधित किया था जोकि दिसंबर 1993 तक जारी रहा था।

बता दें कि हाल ही में सूत्रों के हवाले से आईं खबरों में दावा किया गया था कि जमात-ए-इस्लामी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकियों को कश्मीर घाटी में बड़े स्तर पर फंडिंग करता था। ऐसी तमाम जानकारियों के बाद गृह मंत्रालय ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक के बाद कड़ा कदम उठाते हुए जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया है। माना जा रहा है कि इसके बाद अगला नंबर हुर्रियत का हो सकता है।

आरोप है कि जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर का मिलिटेंट विंग है। यह जम्मू कश्मीर में अलगाववादी विचारधारा और आतंकवादी मानसिकता के प्रसार के लिए प्रमुख जिम्मेदार संगठन है। जमात-ए-इस्लामी के पीछे आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन का हाथ बताया जाता है और ये भी दावा किया जाता है कि हिज्बुल मुजाहिदीन को इस संगठन ने हर तरह की सहायता की।

पाकिस्तान का संरक्षण से फल-फूल रहे हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकियों को ट्रेंड करना, फंडिंग करना, शरण देने समेत आने-जाने की सुविधा मुहैया कराना जैसे काम जमात-ए-इस्लामी संगठन कर रहा था। जमात-ए-इस्लामी अपनी अलगाववादी विचारधारा और पाकिस्तानी एजेंडे के तहत कश्मीर घाटी में काम करता है। ये संगठन अलगाववादी, आतंकवादी तत्वों का वैचारिक समर्थन करता है. उनकी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में भी भरपूर मदद देता रहा है।