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इसरो का अब मानव मिशन ‘गगनयान’, वायुसेना के तीन पायलट भेजे जायेंगे अंतरिक्ष

 

नई दिल्ली। चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क टूटने के बाद अब इसरो ने ‘मिशन गगनयान’ की तैयारी शुरू कर दी है। इसरो अपने पहले मानव मिशन गगनयान में विंग कमांडर निखिल रथ को भेजेगा। गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्षयान कार्यक्रम है। इसकी घोषणा बीते साल स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। इसमें तीन-सदस्यीय चालक दल सात दिनों के लिए अंतरिक्ष में भेजे जायेंगे।

भारतीय वायु सेना ने इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन में भारतीय अंतरिक्ष यात्री चयन के स्तर -1 को पूरा कर लिया है। दस हजार करोड़ के बजट वाले इस मिशन पर इसरो और भारतीय वायुसेना मिलकर काम कर रहे हैं। वायुसेना ने अपने 25 पायलटों में से चयन करके तीन अंतरिक्ष यात्री इसरो को देगी, जिन्हें अंतरिक्ष में सात दिन की यात्रा पर भेजा जाएगा। चयनित परीक्षण पायलटों का मनोविज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर व्यापक शारीरिक व्यायाम परीक्षण, प्रयोगशाला जांच, रेडियोलॉजिकल परीक्षण, नैदानिक ​​परीक्षण और मूल्यांकन किया गया है।

‘मिशन गगनयान’ के लिए 25 पायलटों का चयन कर लिया गया है, जिसमें एक ओडिशा के निखिल रथ भी हैं। ओडिशा के बालांगीर के विंग कमांडर निखिल रथ ने इसरो के पहले मानव मिशन गगनयान 2021 के लिए प्रशिक्षण लेने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के चयन के प्रारंभिक चरण को पूरा कर लिया है। अंतरिक्ष मिशन के लिए इन्हें एक साल तक रूस में प्रशिक्षण दिया जाएगा। आखिरी दौर में सिर्फ तीन को चुना जाएगा, जिन्हें सात दिवसीय मिशन के लिए अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। अगर भारतीय वायु सेना के पायलट निखिल रथ को अंतिम सूची में चुना जाता है, तो वह सात दिवसीय मिशन के लिए अंतरिक्ष में जाने वाले तीन अंतरिक्ष यात्रियों में से एक होंगे।

निखिल रथ के पिता अशोक रथ बालांगीर में सीनियर वकील हैं और मां कुसुम रथ महिला आयोग की सदस्य हैं। 1998 में बालांगीर के केंद्रीय विद्यालय से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद निखिल ने 2000 में दिल्ली पब्लिक स्कूल से इंटर पास किया था। इसके बाद उन्होंने पहले ही कोशिश में नेशनल डिफेंस एकेडमी क्लीयर करके कैडेट के रूप में ज्वॉइन किया। इसके बाद वह 2003 में इंडियन एयरफोर्स में शामिल हुए।