नई दिल्ली|
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष डॉ. के. सिवन ने शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और उन्हें अगले महीने शुरू होने वाले अंतरिक्ष मिशन ‘चंद्रयान -2’ के बारे में जानकारी दी.
राष्ट्रपति ने उन्हें मिशन की सफलता के लिए बधाई दी है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने दस साल पहले, 22 अक्टूबर, 2008 को चंद्रयान-1 को चंद्रमा पर भेजा था.
- इसरो के चंद्रमा पर पहले मिशन के लगभग दस साल बाद अब चंद्रयान-2 लॉन्च में हुई अप्रत्याशित देरी के बाद अब पूरी तरह से तैयार है.
- स्वदेशी चंद्रयान-2 मानव रहित मिशन है और यह 15 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से तड़के 2:51 बजे चांद के दक्षिणी ध्रुव के लिए रवाना किया जाएगा. चंद्रयान-2 को चांद पर पहुंचने में करीब 2 महीने लगेंगे.
- चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर 14 दिन तक काम करेगा. इस दौरान चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को माइनस 157 डिग्री सेल्सियस से लेकर 121 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान का सामना करना पड़ेगा.
- चंद्रयान-2 भी चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी, तापमान, वातावरण आदि का अध्ययन करेगा. इसका कुल वजन 3800 किलो है.
- चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चांद से 100 किमी ऊपर चक्कर लगाते हुए लैंडर और रोवर से प्राप्त जानकारी को इसरो सेंटर पर भेजेगा. इसमें 8 पेलोड हैं.
- साथ ही इसरो से भेजे गए कमांड को लैंडर और रोवर तक पहुंचाएगा. इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने बनाकर 2015 में ही इसरो को सौंप दिया था.
- इस पर 603 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. यह मिशन चांद पर कुल 52 दिन बिताएगा.