Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

अगर तीन तलाक की कुप्रथा नहीं हटाते तो यह भारतीय लोकतंत्र पर सबसे बड़ा धब्बा होता : अमित शाह

 

 

 

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तीन तलाक के मुद्दे पर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों को निशाने पर लेते हुए कहा कि वोट बैंक और तुष्टीकरण की राजनीति के चलते इन दलों ने इस कुप्रथा को मिटाने वाले विधेयक का विरोध किया। उन्होंने कहा कि तीन तलाक को गैर कानूनी घोषित किए जाने के बाद से करोड़ों मुस्लिम महिलाओं को उनका हक मिला है। कहा, अगर तीन तलाक की कुप्रथा नहीं हटाते तो यह भारतीय लोकतंत्र पर सबसे बड़ा धब्बा होता।

यहां कांस्टिट्यूशन क्लब में रविवार को श्यामा प्रसाद मुखर्जी शोध संस्थान की ओर से आयोजित व्याख्यान में तीन तलाक संबंधी कानून पर अपने विचार रखते हुए शाह ने कहा कि वह अलग-अलग मंचों पर इस कुप्रथा के खिलाफ कई बार बोल चुके हैं, किंतु आज उन्हें खुशी हो रही है कि यह कुप्रथा अब गैरकानूनी हो गई है और तीन तलाक संबंधी विधेयक संसद से पारित होकर कानून बन गया है। उन्होंने कहा कि कुछ दलों को वोट बैंक की चिंता थी इसीलिए उन्होंने इसका विरोध किया। कुछ दलों ने संसद में विधेयक का विरोध किया लेकिन वो जानते थे कि यह एक अन्याय है जिसे समाप्त करने की आवश्यकता है फिर भी उनके पास ऐसा करने का साहस नहीं था क्योंकि उनको वोटबैंक की चिंता थी।

गृहमंत्री ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि ऐसा नहीं है कि यह लड़ाई आज की है। इस कुप्रथा के सामने मुस्लिम माताओं ने बहुत साल पहले लड़ाई शुरू की थी। इंदौर की रहने वाली शाह बानो को तीन तलाक दे दिया गया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट तक न्याय की लड़ाई लड़ी।

23 अप्रैल 1985 को, सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो के पक्ष में आदेश दिया था, अदालत ने तीन तलाक को समाप्त करते हुए कहा था कि पत्नी को खर्चा देना अनिवार्य है और तलाक के लिए एक कारण दिया जाना चाहिए। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने रूढ़िवादी मुसलमानों के दबाव में और वोट बैंक की राजनीति के कारण शीर्ष न्यायालय के फैसले को पलट दिया। उन्होंने कहा कि वो दिन संसद के इतिहास में काला दिन माना जाएगा कि वोटबैंक के दबाव में आकर राजीव गांधी ने कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निरस्त करके तीन तलाक को मुस्लिम महिलाओं पर थोप दिया।

उन्होंने कहा कि भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने वोटबैंक की फिक्र किए बिना मुस्लिम महिलाओं को इस कुप्रथा से निजात दिलाने और उनका सशक्तिकरण करने के लिए तीन तलाक के खिलाफ कानून पारित किया। शाह ने कहा कि कई लोग भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हैं कि यह काम मुस्लिम विरोधी है। उन्होंने कहा कि वह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि तीन तलाक संबंधी कानून किसी के फायदे के लिए नहीं अपितु यह केवल मुस्लिम समुदाय की महिलाओं के हित के लिए है। हिंदू, ईसाई, पारसी और जैन इससे लाभान्वित नहीं होने जा रहे हैं क्योंकि उन्हें इसका खामियाजा कभी नहीं भुगतना पड़ा।

शाह ने कहा कि दुहाई दी जाती है कि तीन तलाक मुस्लिम शरीयत का अंग है, हमारे धर्म के रीति-रिवाजों में दखल न दिया जाए। उन्होंने आगे कहा कि बांग्लादेश, अफगानिस्तान, मोरक्को, इंडोनेशिया, श्रीलंका, जॉर्डन समेत 19 देश ऐसे हैं जिन्होंने 1922-1963 तक तीन तलाक खत्म कर दिया इसमें से 16 देश घोषित तौर पर इस्लामिक देश हैं। यानी, हमें इस कुप्रथा को खत्म करने में 56 साल लग गए। इसका कारण कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति है। उन्होंने कहा कि अगर यह इस्लाम संस्कृति का हिस्सा होता तो इस्लामिक देश इसे क्यों हटाते। यह बताता है कि यह प्रथा गैर-इस्लामिक है। इसे इस्लाम का समर्थन प्राप्त नहीं है। गृहमंत्री ने विपक्ष पर हमला जारी रखते हुए कहा कि वोट बैंक की राजनीति ने राष्ट्र को कई तरीकों से नुकसान पहुंचाया है। तीन तलाक एक ऐसा उदाहरण है, वोट बैंक की राजनीति के लिए इस बुरी प्रथा को इतने सालों तक चलने दिया गया।