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जॉन कॉर्निन अमेरिकी सीनेटर हैं। उन्होंने 17 जुलाई को एक ट्वीट करते हुए दावा किया कि आज की तारीख में ताइवान में 30 हजार और साउथ कोरिया में 28 हजार अमेरिकी सैनिक मौजूद हैं। यह सुनकर चीन भड़क गया है। ग्लोबल टाइम्स चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का भोंपू अखबार है। अखबार ने अपने एक संपादकीय में लिखा है कि अगर ऐसा है तो चीनी सरकार और चीनी जनता इसे कभी नहीं स्वीकार करेगी। अखबार ने लिखा है, ‘ताइवान में अमेरिकी सैनिकों के होने से उन समझौतों का गंभीर उल्लंघन होता है जब चीन और अमेरिका ने अपने बीच डिप्लोमैटिक संबंध स्थापित किए थे। यह गंभीर तौर पर अंतर्राष्ट्रीय कानून के साथ ही अमेरिकी घरेलू कानून के उलट है। यह एक तरह से ताइवान पर सैन्य आक्रमण और कब्जे के बराबर है। यह एक तरह से चीन से युद्ध की घोषणा करना है।’
अखबार ने लिखा है कि हमें पता चला है कि जॉन कॉर्निन ने ताइवान में अमेरिकी सैनिकों की संख्या को गलत समझा है। ताइवान में अमेरिकी सैनिकों की संख्या 1969 तक 30 हजार पहुंची थी। टाइम्स से बात करते हुए एक एनालिस्ट ने कहा है कि कॉर्निन का ट्वीट चीन को टेस्ट करने के लिए जानबूझकर उठाया गया कदम है। अगर ऐसा भी है तो भी यह हमारे लिए अस्वीकार्य है।
US Troops today in:
South Korea – 28,000
Germany – 35,486
Japan – 50,000
Taiwan – 30,000
Africa – 7,000Afghanistan (month or 2 ago) – 2,500
— Senator John Cornyn (@JohnCornyn) August 16, 2021
चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने कॉर्निन के ट्वीट पर अमेरिकी और ताइवान सरकार से तत्काल स्पष्टीकरण की मांग की है। अगर ताइवान में वाकई 30 हजार या उससे कम अमेरिकी सैनिक भी हैं तो यह बहुत गंभीर स्थिति है। अमेरिकी सैनिकों को बिना शर्त ताइवान से हट जाना चाहिए। इसके लिए अमेरिकी और ताइवानी अधिकारियों को चीन से माफी मांगनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो ताइवान में एक ऑलआउट युद्ध होगा और चीनी सेना अमेरिकी सेना का सफाया कर देगी और इसी के साथ ताइवान के सवाल को हमेशा के लिए सुलझा देगी।
संपादकीय में इस बात पर जोर दिया गया है कि ताइवान में अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी एक रेड लाइन है जिसे पार नहीं किया जा सकता है। कहा गया है कि चीन सरकार और पीपल्स लिबरेशन आर्मी चीन की संप्रभुता के लिए काम करेगी और चीन के क्षेत्र का उल्लंघन करने वाले किसी भी विदेशी ताकत को पूरी तरह से कुचल देगी।
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