Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

रूठे-रूठे से हैं मेहमान परिन्दे

 

 

औरैया। प्रवासी पक्षियों का चंबल से मोह भंग होता जा रहा है। चंबल सेंचुरी में लगातार कई वर्षों से प्रवासी पक्षियों की संख्या घटती जा रही है। यह पक्षी साइबेरियन रूस, कजकिस्तान जैसे ठंडे इलाके से यहां हर वर्ष आते हैं और अपने अनुकूल मौसम होने पर वापस चले जाते हैं।

पर्यावरणविदों की मानें तो ठंडे इलाकों में बर्फ गिरने के साथ ही सितम्बर के अंत से लेकर मार्च तक यह पक्षी यहां पर प्रवास करते थे लेकिन पिछले 10 वर्षों से इन पक्षियों के आगमन में काफी कमी आई है। हालांकि इनकी गणना के आंकड़े किसी के पास नहीं हैं लेकिन बीते 10 वर्षों में दिखने वाले पक्षी अब दिखाई नहीं दे रहे हैं।

प्रवासी पक्षी यहां आकर चंबल के पचनद व भरेह, संगम, पथर्रा, महुआ, सूडा पाली, कुन्दोल, बरचोली आदि इलाकों के बड़े तालाबों को अपना आशियाना बनाकर इन इलाकों को अपने रेस्ट रूम की तरह इस्तेमाल करते हैं। इनके आने का सिस्टम चुंबकीय क्षेत्र के आधार पर होता है। लगातार आने के कारण पुराने पक्षी नए पक्षियों को रास्ते का मार्ग दर्शन करते हैं। अब इनके यहां न आने का कारण प्राकृतिक वास का क्षरण, जलवायु परिवर्तन, रास्ते के देशों अफगानिस्तान, कजकिस्तान में शिकारियों की संख्या में बढ़ना है।

चंबल डीएफओ आनंद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि 15 दिसम्बर तक प्रवासी पक्षियों की संख्या में और इजाफा होगा। ठंडे देशों से आकर भारत के विभिन्न हिस्सों में यह प्रवासी पक्षी चंबल और यमुना में जल विहार करते हैं। जब ठंडे देशों में हिमपात होने लगता है, तब यह पक्षी हजारों किलोमीटर का लंबा सफर तय करके यहां पहुंचते हैं। सर्दी खत्म होने के बाद परदेशी मेहमान अपने वतन को वापस लौट जाते हैं। आने वाले प्रमुख प्रवासी पक्षियों में पैलिकल, बरहेडिल, स्पूनबिल, पिगतल, कमेंटिक, शोबिल्क, कोभ क्रेन, डेमो डेमोसिल, क्रेन टर्न रफ, सेंट पाइप मोमेंजर, पॉपलर कोमन आदि हैं।