Breaking News

आवश्यक सूचना: प्रदेश जागरण के सभी निर्गत परिचय पत्र निरस्त किये जा चुके हैं | अगस्त 2022 के बाद के मिलने या दिखने वाले परिचय पत्र फर्जी माने जाएंगे |

Lakhimpur:अपनी ही ज़मीन पाने के लिए दर-दर भटक रहा है स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का परिवार

देव श्रीवास्तव|
लखीमपुर खीरी।
न्याय पाने के लिए इन दिनों एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का परिवार प्रशासनिक व पुलिस महकमे के आला अधिकारियों के ऑफिस के चक्कर लगा रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनकी पैतृक जमीन को कब्रिस्तान की जमीन बताकर कुछ लोग जबरदस्ती कब्जा चाह रहे हैं। जबकि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का परिवार उच्च न्यायालय में मामले से संबंधित मुकदमा जीत चुका है। इसके बाद जब परिवार ने लेखपाल द्वारा पैमाइस किए जाने के बाद दीवार बनानी शुरू की तो विपक्षी गणों ने वहां पहुंचकर हंगामा काटा और काम रुकवा दिया। इसके बाद पीड़ित परिवार अपनी फरियाद लेकर उच्चाधिकारी के ऑफिस के चक्कर लगा रहा है। इसी मामले पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्रीराम पितरिया की बहू व बेटे ने गुरूवार को एक प्रेस वार्ता कर पत्रकारों को मामले से जुड़ी सभी जानकारियां दस्तावेजों के साथ दीं। 
  • सदर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला रानीगंज स्थित एक विद्यालय में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्रीराम पितरिया की बहू उमा पितरिया पत्नी चंद्र प्रकाश पितरिया व उनके पुत्र जयंत मोहन ने अपने वकील प्रभात अवस्थी के साथ पत्रकारों से बात की।न्होंने बताया कि गोटैय्याबाग स्थिति कब्रिस्तान के नजदीक ही उनकी करीब 2 एकड़ जमीन रकबा संख्या 153 है, जो उनके पति के नाम है।
  • उनकी यह पैतृक जमीन उनके ससुर ने उनकी सास सरवती देवी पितरिया के नाम 13 दिसंबर 1951 में खरीदी थी। इस ज़मीन के करीब जमीन है जिसकी गाटा संख्या 230 है, जो राजस्व अभिलेख में शिवेंद्र नाथ सिंह के नाम दर्द है। इस पर एक कब्रिस्तान है।
  • विशेष समुदाय के कुछ लोग कब्रिस्तान के नाम का फायदा उठा कर उनकी जमीन पर भी कब्जा करने का निरंतर प्रयास कर रहे हैं। जिसे लेकर अंजुमन इस्लामिया कमेटी ने एक मुकदमा मुंसिफ मजिस्ट्रेट के समक्ष दायर किया था, जो 5 मई 1978 को न्यायालय ने निरस्त कर दिया।
  • इसके बाद अंजुमन कमेटी ने दीवानी अपील भी की, जो 5 दिसंबर 1978 को निरस्त हो गई। इसके बाद अंजुमन कमेटी द्वारा माननीय उच्च न्यायलय खंड पीठ लखनऊ के समक्ष प्रस्तुत मुकदमे में माननीय न्यायालय द्वारा गाटा संख्या 153 का स्वामी मेरे पति को मानते हुए दिनांक 6 मार्च 2017 को अपील निरस्त कर दी। यह आदेश अंतिम हो चुका है।
  • इसके बाद उन्होंने तहसीलदार लखीमपुर को निशान देही हेतु प्राथना पत्र देकर अपनी जमीन की निशान देही करवाई। जिसके आधार पर 30 जून 2018 को पुलिस बल की मौजूदगी में उनके द्वारा अपनी जमीन पर नींव भरवाने की पहल की गई। तभी विशेष धर्म के कुछ लोग वहां 15 से 20 की संख्या में आ पहुंचे और झगड़े पर आमादा हो गए।
  • निर्माण कार्य को रुकवा दिया और नींव की ईंटे लेकर चले गए। इसके बाद से वह अपनी जमीन पर कब्जा पाने के लिए लगातार प्रशासनिक व पुलिस महकमे के आला अधिकारियों के ऑफिस के चक्कर लगा रही हैं। विपक्षीगण माननीय न्यायलय के आदेश की भी अनदेखी कर रहे हैं।
  • वही प्रशासन व पुलिस उनकी मदद नहीं कर रही। ऐसे में सवाल उठता है कि एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिवार की पैतृक जमीन पर जो लोग कब्जा कर रहे हैं। उन पर पुलिस व प्रशासन कार्रवाई क्यों नहीं करना चाहता। जबकि पीड़ित के पक्ष में माननीय उच्च न्यायालय भी फैसला दे चुका है।
  • ऐसे में आदेश का अनुपालन ना करा पाना प्रशासन व पुलिस की नाकामी है। इसे लेकर अब हिंदू जागरण मंच भी आमने सामने की लड़ाई लड़ने को तैयार है। मामले पर एसडीएम सदर ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में है। दोनों पक्षों को बुलाकर आपसी सहमति से मामले को निपटाने का प्रयास किया जा रहा है।

वीडियो: