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सरकार की मौजूदा नीतियों से किसान व आढ़ती हो जाएंगे बर्बाद: मनोहर मेहता, धान पर जीएसटी लगाई तो मंडियां हो जाएंगी वीरान

सिरसा, 13 जुलाई। ।(सतीश बंसल )  फसल खरीद को लेकर प्रदेश सरकार की जो मौजूदा नीतियां हैं, वे पूरी तरह से किसानों, आढ़तियों व मंडियों के खिलाफ है। चर्चा है कि सरकार धान की खरीद पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाने की योजना बना रही है। यदि ऐसा हुआ तो न सिर्फ इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा बल्कि मंडिया वीरान हो जाएंगी। यह बात आढ़ती एसोसिएशन सिरसा के प्रधान मनोहर मेहता ने आज जारी एक बयान में कही। मेहता ने कहा कि आने वाले कुछ माह में मंडियों में धान की फसल आएगी। सरकार ने जनवरी 2022 में धान पर मार्केट फीस अढ़ाई प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत कर दी थी जो पूरी तरह से किसानों व आढ़तियों के खिलाफ है। वर्तमान में हरियाणा प्रदेश में सबसे अधिक मार्केट फीस है। उन्होंने बताया कि इस समय पड़ोसी राज्य पंजाब में सवा दो रुपये, उत्तरप्रदेश में डेढ़ प्रतिशत, राजस्थान में एक रुपया साठ पैसे व दिल्ली में एक प्रतिशत मार्केट फीस ली जा रही है। उन्होंने बताया कि चर्चा है कि सरकार धान पर मार्र्केट फीस के अलावा 5 प्रतिशत जीएसटी लगाने की योजना बना रही है। यदि ऐसा हुआ तो प्रदेश भर की मंडियां वीरान हो जाएंगी। आढ़ती बर्बाद हो जाएंगे। 5 प्रतिशत जीएसटी लगाने से किसान अपना धान सीधे राइस मिलों में लेकर जाएंगे। राइस मिल मालिक  किसानों का आर्थिक शोषण करेंगे जबकि आढ़तियों का काम बंद हो जाएगा।

सरकार को राजस्व का नुकसान होगा क्योंकि जब मंडियों में धान की फसल नहीं आएगी तो फीस भी प्राप्त नहीं होगी। इससे मार्केट कमेटियों में भ्रष्टाचार पैदा होगा। मेहता ने बताया कि मार्केट कमेटियों के अधिकारी व कर्मचारी राइस मिल मालिकों से मिलकर भ्रष्टाचार करेंगे और किसानों की फसल सीधी मिलों में भेजेंगे। प्रधान मेहता ने कहा कि मार्केट कमेटियों के आंकड़ों पर गौर करने पर पता चलता है कि सरकार ने जब से धान पर मार्केट फीस चार प्रतिशत की है, तब से सरकार को कम राजस्व प्राप्त हुआ है। जब मार्केट फीस अढ़ाई प्रतिशत थी, उस वक्त अधिक फीस प्राप्त हुई थी। यानि, मार्केट फीस में बढ़ोतरी से जहां सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है, वहीं किसानों व आढ़तियों को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसलिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मांग है कि वे इस मामले में तुरंत संज्ञान ले। सरकार को मार्केट फीस चार प्रतिशत से घटाकर अन्य प्रदेशों की तर्ज पर एक या डेढ़ प्रतिशत कर देनी चाहिए। साथ ही जीएसटी लगाने की जो संभावित योजना बन रही है, उसे रोक देनी चाहिए ताकि आढ़तियों का काम धंधा चलता रहे और सरकार को भी राजस्व के रूप में फीस मिलती रहे। यदि सरकार ने ऐसा नहीं किया तो आने वाले समय में सरकार को आढ़तियों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है।