लखनऊ:
पिछले कुछ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता को लेकर चल रहे विवादों में कांग्रेस ने उनकी जन्म तिथि में गड़बड़ी होने का आरोप लगाया था. पार्टी ने गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा मोदी की पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री की जानकारी साझा करने के समय पर भी सवाल उठाया. विश्वविद्यालय ने पहले जानकारी साझा करने से इंकार कर दिया था और ऐसे तमाम मुद्दे पर पी एम मोदी को लेकर भ्रम की स्थति रही है | इस मुद्दे पर अपनी सटीक राय और विश्लेषण दे रहे हैं एस्ट्रो एक्सपर्ट आचार्य राजेश …
ज्योतिष विज्ञान के आधार पर सटीक विश्लेषण:
- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शक्तिसिंह गोहिल ने कहा, ‘एमएन कॉलेज के छात्र रजिस्टर (जिसमें मोदी ने प्री-साइंस यानी 12वीं में दाखिला लिया था) में नरेंद्र मोदी की जन्म तिथि 29 अगस्त, 1949 है. उनके चुनावी हलफनामे में उन्होंने अपनी जन्म तिथि नहीं बताई है बल्कि अपनी उम्र लिखी है. सार्वजनिक रूप से उपलब्ध उनकी औपचारिक जन्म तिथि 17 सितंबर, 1950 है.’ उन्होंने स्कूल रजिस्टर की प्रति दिखाई, जिसमें प्रधानमंत्री का नाम नरेंद्रकुमार दामोदरदास मोदी और उनकी उक्त जन्म तिथि लिखी है.
- जबकि,मोदी जी के वाह्य एवं आतंरिक व्यक्तित्व,क्रियाकलापों ,उनके भाषण ,पारिवारिक परिस्थितियों एवं विगत लगभग दो दशकों से प्रदेश एवं देश की सत्ता में रहकर किये गए कार्यो के आधार पर गहन अध्ययन एवं ज्योतिषीय विश्लेशन के पश्चात् प्राप्त वास्तविक जनम तिथि 17 सितम्बर 1949 ,जन्म समय सुबह 10:55 जन्म स्थान वड नगर ,गुजरात होनी चाहिए|
- इस जन्मतिथि के आधार पर प्राप्त विवरण से पूर्व मोदी जी के बहु चर्चित जन्म तिथि सितम्बर 17, 1950, जन्म समय 11 बजे से प्राप्त विवरण को समझना जरुरी है|
जानिए क्या कहती है नरेन्द्र मोदी की बहुचर्चित जन्म की तारीख सितम्बर 17, 1950, जन्म समय 11 बजे:
- सितम्बर 17, 1950, जन्म समय 11 बजे, मेहसाणा-गुजरात, जिसके अनुसार उनका जन्म लग्न वृश्चिक है और जन्म कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को विष्कुम्भ योग में हुआ है। विष्कुम्भ में जन्मा हुआ जातक कभी इतना उत्थान नहीं कर सकता इसके अलावा जो पहले की कुंडली में संदेह जनक पक्ष है वे हैं –
- वृश्चिक लग्न में मंगल तो है परन्तु शुन्य अंश का है साथ में नीच का चन्द्रमा है, जिसके चलते रूचक और विष्णु लक्ष्मी योग तो बनते हैं परन्तु बहुत ही कमजोर , कम से कम इतने शक्तिशाली तो नहीं जितने मोदी हैं।
- वृश्चिक लग्न में दसम भाव का मालिक सूर्य है जो स्वयं एकादश भाव में केतु के साथ ग्रहण योग में बैठा है और दसम भाव में शत्रु के स्थान पर शनि विराजमान है जो कभी भी इतना तगड़ा राजयोग नहीं दे सकता बल्कि हमेशा अवरोध उत्पन्न करेगा। जबकि मोदी का पिछला जीवन देखा जाये तो मोदी निरंतर आगे बढे हैं और कभी भी उनके लिए कोई बड़ी समस्या नहीं खड़ा कर पाया। साथ ही यह भी इतना प्रबल राजयोग नहीं बना सकता जितना मोदी का है।
- गुरु भी केंद्र में है परन्तु शत्रु स्थान पर है और वक्री भी है, अतः यहाँ गुरु से भी किसी प्रकार का राजयोग नहीं बन पा रहा है।
- बुध एकादश भाव में कन्या राशि में है परन्तु वक्री है, अतः बुधादित्य योग उतना प्रभावकारी नहीं हो सकता।
- पंचम में राहु विद्या में बाधक है और उस पर सूर्य – बुध – केतु की दृष्टि से व्यक्ति बहुत नकारात्मक बुद्धि वाला या विध्वंसक विचार का हो जायेगा, अतः यहाँ यह योग भी समझ से परे है।
- सन 1985 से लेकर 2005 तक मोदी की शुक्र की महादशा रही है और जब अक्टूबर 2001 में मोदी मुख्यमंत्री बने तो शुक्र में शनि का अंतर था, वृश्चिक लग्न में शुक्र मारकेश है और बुध एवं शनि सहायक, तो उस समय मुख्यमंत्री कैसे बन सकते हैं मोदी?
- इन सभी कारणों को देखते हुए हमने ,मोदी जी के वाह्य एवं आतंरिक व्यक्तित्व,उनके क्रियाकलापों ,उनके भाषण ,पारिवारिक परिस्थितियों एवं विगत लगभग दो दशकों से प्रदेश एवं देश की सत्ता में रहकर किये गए कार्यो के आधार पर गहन अध्ययन एवं ज्योतिषीय विश्लेशन के पश्चात् प्राप्त वास्तविक जनम तिथि 17 सितम्बर 1949 ,जन्म समय सुबह 10:55 जन्म स्थान वड नगर ,गुजरात के आधार पर विश्लेषण किया तो चौकाने वाले नतीजे प्राप्त हुए जो निम्नवत हैं |
अब जानिए क्या कहती है नरेन्द्र मोदी की वास्तविक जन्म की तारीख 17 सितम्बर 1949 ,जन्म समय सुबह 10:55 जन्म स्थान वड नगर ,गुजरात
- लग्न तुला है और तुला में ही शुक्र बैठा है – यह अपने आपमें जबरदस्त रोजयोग कारक है और व्यक्ति को कीचड में पैदा होने के बावजूद राजसिंहासन तक पहुँचाने की क्षमता रखता है और शायद यह बात जो भी ज्योतिष जानते हैं उन्हें बताने की आवश्यकता नहीं कि लग्न में तुला के शुक्र का क्या मतलब होता है।
- दशम भाव में नीच का मंगल – जिसके कारण पिता के सुख में कमी परन्तु उच्च दृष्टि माँ के स्थान पर अतः माँ की आयु लम्बी और भरपूर आशीर्वाद, साथ ही शत्रुओं को परास्त करने की अद्भुत क्षमता।
- पराक्रम भाव अर्थात तृतीय भाव में अपनी ही राशि पर बैठा वक्री गुरु – यह भाई – बहनों के सुख को कमजोर करता है परन्तु अदभुत पराक्रम देता है, मोदी के बारे में ये दोनों ही बाते सर्वविदित हैं।
- राज्येश चन्द्रमा का भाग्य स्थान अर्थात नवम भाव में बैठना – यह एक अद्भुत राजयोग है। साथ ही गुरु और चन्द्रमा का दृष्टि योग जबरदस्त पराक्रम, राज क्षमता, सृजनात्मक विचार इन सबसे व्यक्ति को ओतप्रोत बनता है, और ये सभी गन मोदी में विद्यमान हैं।
- एकादश भाव में शनि – यहाँ बैठकर शनि लग्न, पंचम, और अष्टम भाव को सीधे देख रहे हैं, अतः देर से विद्या की प्राप्ति, लग्न पर उच्च दृष्टि के कारण निरोगी एवं आध्यात्मिक विचारधारा, दुखी लोगो के प्रति सेवा का भाव ये सभी गुण प्रदान कर रहा है, साथ ही जीवन में अत्यधिक यात्रा और यात्रा के और सेवा के द्वारा लाभ को दर्शाता है, और इन सभी बातों को मोदी के सन्दर्भ में बताने की आवश्यकता नहीं।
- छठवें भाव में राहु – कम से कम किसी ज्योतिष के विद्वान को इसका अर्थ बताने की आवश्यकता नहीं, शत्रुओं पर जबरदस्त प्रभाव, जिसने भी शत्रुता की वो गया और यही मैंने पहले भी लिखा था की संजय जोशी, केशुभाई पटेल, और शंकर सिंह बाघेला आज नेपथ्य में चले गए हैं और पूरी तरह से मोदी पर आश्रित हैं। वर्तमान में आडवाणी और सुषमा स्वराज को झुकना पड़ा और नितीश, मायावती, मुलायम, अरविन्द केजरीवाल, मणिशंकर अय्यर, सलमान खुर्शीद जैसे न जाने कितने लोग मोदी का विरोध करने की वजह से मोदी जी से परास्त हुए ।
- द्वादश भाव में केतु, सूर्य, और बुध – जो स्वयं कन्या यानी कि बुध की अपनी राशि में हैं एक साथ युति कर रहे हैं। ऐसा किसी भी व्यक्ति को जबरदस्त योजनाकार, भ्रमणशील, प्रखर वक्ता, धर्म रक्षक, तथा परोपकारी बनाता है। साथ ही यह योग पुनः किसी भी शत्रु के लिए अत्यंत घातक है। सूर्य शुन्य अंश का और पिता का कारक और ग्रहण योग में होने के कारण पिता के सुख में कमी और पैतृक सम्पत्ति तथा पैतृक स्थान के सुख में भारी कमी को दर्शाता है।
अब करते हैं दशाओं की बात
- मोदी का जन्म इस वर्ष के अनुसार गुरु की महादशा में हुआ, तुला लग्न में गुरु तीसरे और छठे भाव का स्वामी है , मोदी को जन्म से कितना दुःख झेलना पड़ा यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है।
- 1965 से – 1984 तक: यह शनि की दशा का समय था, शनि तुला लग्न में योगकारक तो हैं परन्तु राजयोगकारक नहीं। साथ ही सुख भाव(चतुर्थ ) से छठे भाव में बैठे हैं, अतः अत्यंत दुःख, खूब भ्रमण, आध्यात्मिक और नैतिक ज्ञान के साथ जीवन जीने को बाध्य किये, इस दौरान जैसा शनि का गुण है मोदी साधु संतों की सेवा में रहे और लगभग सन्यासी का जीवन यापन किये।
- 1984 से जुलाई 2001 तक: यह समय जहाँ से मोदी के राजनैतिक जीवन और अच्छे दिन की शुरुवात होती है, बुध इनकी कुंडली में भाग्येश है और अपनी उच्च राशि कन्या में द्वादश में बैठकर राजयोग भी बना रहा है और यही से मोदी के राजयोग की शरुवात हो जाती है।
- नरेन्द्र मोदी जी स्वतन्त्र भारत में जन्म लेने वाले ऐसे व्यक्ति हैं जो सन 2001 से 2014 तक लगभग 13 साल गुजरात के 14वें मुख्यमन्त्री रहे और हिन्दुस्तान के 15वें प्रधानमन्त्री बने। यद्यपि वर्ष 2008 से 2028 तक लग्नेश शुक्र की महादशा समयांतराल में अधिकतर समय मोदी जी के लिए अच्छा ही रहेगा किन्तु वर्त्तमान में शुक्र में राहू की अन्तर्दशा में गुजरात चुनाव में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलना मुश्किल है जबकि अन्य पार्टिओं को भी पूर्ण बहुमत मिलना आसान नहीं है | उक्त के बावजूद इस देश की बहुमुखीय विकास के लिए मोदी जैसे शख्शियत की नितांत आवश्यकता है |
विशेष :
- मेरे दिए हुए जन्म तारीख अर्थात सितम्बर 17,1949, सुबह 10.50 के अनुसार मोदी का जन्म दिन शनिवार, वरियन योग, कृष्ण पक्ष, दशमी तिथि, पुनर्वसु नक्षत्र है, दशमी तिथि जाया तिथि होती है और इन सारे योग में पैदा हुआ व्यक्ति राजा नहीं बनेगा तो कौन बनेगा?
- सबसे ध्यान देने योग्य बात ये है कि मोदी ने गुजरात और वाराणसी दो जगह से अपना नामांकन दसमी तिथि को ही किया था। 17 और 26 दोनों का हे योग 8 है जो शनि का अंक है, मोदी 17 को शनिवार के दिन ही पैदा हुए हैं।
- यह मेरा प्रयास था तथ्यों का, पाठकों और ज्योतिषविदों से निवेदन है कि अपना विचार रखें तो बेहतर होगा |