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जानिए आखिर क्यों खाया और चढ़ाया जाता है पान, ये है पौराणिक कथा

आप सभी जानते ही हैं कि आने वाले कल यानी 8 अक्टूबर को दशहरा है. ऐसे में हिंदू धर्म में दशहरे के पर्व को खास माना जाता हैं और आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयादशमी के नाम से जाना जाता हैं.

वहीं कहते हैं कि शारदीय नवरात्रि के नौ दिन दुर्गा पूजन के उपरांत दसवें दिन मनाई जाने वाली विजयादशमी अभिमान, अत्याचार और बुराई पर सत्य, धर्म और अच्छाई की विजय का प्रतीक हैं और यह पर्व इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण और देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध कर धर्म और सत्य की रक्षा की थी.

इसी के साथ इस दिन प्रभु श्री राम, देवी भगवती, मां लक्ष्मी, सरस्वती, श्री गणेश और हनुमान जी की पूजा आराधना की जाती है और मंगलकामना करते हैं.

विजयादशमी के दिन पान खाने, खिलाने का रिवाज

वहीं कहा जाता है सभी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विजयादशमी पर श्री राम रक्षा स्त्रोत, सुंदरकांड आदि का पाठ भी करते हैं. इसी के साथ विजयादशमी के दिन पान खाने, खिलाने और हनुमान जी पर पान अर्पित करने का एक अलग ही और विशेष महत्व होता हैं. जी दरअसल पान मान सम्मान, प्रेम व विजय का सूचम माना जाता हैं इसलिए विजयादशमी के दिन रावण, कुम्भकण और मेघनाद दहन के पश्चात पान का बीणा खाना सत्य की जीत की खुशी को व्यक्त करता हैं.

इसी के साथ शारदीय नवरात्रि के बाद मौसम में बदलाव के कारण संक्रामक रोग फैलने का खतरा बढ़ जाता हैं इसलिए स्वास्थ्य की दृष्टि से पान का सेवन पाचन क्रिया को मजबूत कर संक्रामक रोगों से बचाता हैं. कहते हैं इस दिन रावण पर विजय पाने की अभिलाषा में प्रभु श्री राम ने पहले नीलकंठ के दर्शन किए थे और विजयदशमी पर नीलकंठ के दर्शन और भगवान शिव से शुभ फल की कामना करने से जीवन में भाग्योदय, धन धान्य और सुख समृद्धि की प्राप्ति होने लगती है.