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परिवार पहचान पत्र के आधार पर जातिगत जनसंख्या का निर्धारण असंवैधानिक: प्रो लिंबा संविधान के अनुच्छेद 243-ए के अनुसार परिवार पहचान पत्र के आधार पर आबादी के जातिगत आंकड़े पहले प्रकाशित करवाना अनिवार्य

सिरसा। पिछड़ा वर्ग कल्याण महासभा हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष प्रो आर सी लिंबा ने पंचायती राज संस्थाओं से
सम्बन्धित संविधान के अनुच्छेद का हवाला देते हुए बताया कि हरियाणा सरकार ने पिछड़ा वर्ग को पंचायती राज
संस्थाओं में आरक्षण के लिए जो अध्यादेश परित किया है, उसमें आबादी के निर्धारण के लिए परिवार पहचान पत्र
(पीपीपी) से डाटा लेने का प्रावधान किया है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 243-ए की परिभाषा अनुसार
असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थाओं से सम्बन्धित संविधान के अनुच्छेद 243 में जनसंख्या
की स्पष्ट परिभाषा दी गई है। अनुच्छेद 243-एफ  में अंकित है कि जनसंख्या का अर्थ है जनसंख्या के रूप में
पिछली जनगणना में पता लगाया गया है, जिसके प्रासंगिक आंकड़े प्रकाशित किए गए हैं। उन्होंने आगे बताया कि
कोई भी राज्य सरकार पंचायती राज संस्थाओं में संविधान के अनुच्छेद 243 ए की परिभाषा अनुसार ही किसी वर्ग
या जाति की आबादी का निर्धारण कर सकती है  और चूंकि अभी तक परिवार पहचान पत्र के आंकड़ प्रकशित नहीं
किये गए हैं और यदि राज्य सरकार अध्यादेश के प्रावधान मुताबिक परिवार पहचान पत्र के डाटा का प्रयोग
पंचायती राज संस्थाओं में करना चाहती है तो संविधान के अनुच्छेद 243-ए के अनुसार पहले परिवार पहचान पत्र
के जातिगत आंकड़े प्रकशित करवाये। हरियाणा में 2011 में जनगणना हुई थी, उसके बाद वर्ष 2018 में माननीय
हरियाणा एवं पंजाब हाई कोर्ट के केस संख्या 9931-2016 के निर्देश अनुसार हरियाणा सरकार ने प्रदेश में
जातिगत सर्वे करवाया था जो अब तक सार्वजनिक नहीं किया है। इस प्रकार से हरियाणा सरकार को अनुच्छेद
243-ए के अनुसार वर्ष 2011 में हुई जनगणना के आंकड़ो के आधार पर या फिर वर्ष 2018 में प्रदेश में करवाये गए
जातिगत सर्वे के आंकड़ों के अनुसार ही आबादी का निर्धारण करना चाहिए। प्रो. लिंबा ने कहा कि चूंकि पंचायती
राज संस्थाओं में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के लिये राज्य सरकार ने परिवार पहचान पत्र से 24 अगस्त 2022
तक के आंकड़े लेने का अध्यादेश पारित किया है, इसलिए संविधान के अनुच्छेद 243-एफ  के अनुसार सरकार
पहले ये आंकड़े सार्वजनिक करे और फिर सरपंच, पंचायत समिति, जिला परिषद के ड्रॉ निकाले। इस बारे महासभा
की तरफ  से हरियाणा पिछड़ा वर्ग आयोग को आपत्ति दर्ज करवाई जाएगी और जरूरत पड़ी तो माननीय हाई कोर्ट
का दरवाजा खटखटाया जाएगा।