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एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस में करोड़ों का घोटाला, लिपिक गिरफ्तार

 

मौत की कगार पर पहुंचे लोगों का बीमा कर दिलाया आर्थिक लाभ

बिजनौर। एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस की बिजनौर शाखा में चार से पांच करोड़ रुपये का बीमा घोटाला सामने आया है। मौत की कगार पर पहुंचे लोगों का बीमा कर उनके नॉमिनी को लाभ दिलाया गया। काफी संख्या में लोगों की मौत पहली किश्त के बाद ही हुई तो पड़ताल की गई। तत्कालीन प्रबंधक के खिलाफ मौजूदा मैनेजर की तहरीर पर रिपोर्ट दर्ज की गई। अब पुलिस ने फर्जीवाड़े के दौरान तैनात रहे लिपिक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।

रविवार को बिजनौर के एएसपी सिटी लक्ष्मीनिवास मिश्र ने लाइफ इंश्योरेंस में हुए फर्जीवाड़े का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि 30 अप्रैल को एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस के मैनेजर नईम शाह खान की ओर से बिजनौर शाखा के पूर्व मैनेजर संचित अग्रवाल और एक अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई। पुलिस पड़ताल में जुटी तो सामने आया कि साल 2012 से 2018 तक तैनात रहे लिपिक तनुज भारती पुत्र शीशपाल सिंह निवासी जैतरा धामपुर के खाते में 83 पॉलिसी का करीब साढ़े पांच लाख रुपये कमीशन का जमा हुआ है। तनुज भारती अब सुल्तानपुर एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस में तैनात है। पकड़ में आने के बाद लिपिक तनुज ने बताया कि तत्कालीन प्रबंधक भंवर सिंह के साथ मिलकर मरने की हालत में पहुंचे बीमार लोगों के परिजनों को लालच देकर बीमा पॉलिसी फर्जी तरीके से की गई। पुलिस ने पकड़े गए लिपिक को जेल भेज दिया है।

एजेंट के कोड में अपना खाता किया अटैच

अल्पकाल प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले देवेश को एजेंट दर्शाया गया, जिसका कोड जेनरेट कर 83 पॉलिसी की गई। इस कोड में लिपिक ने अपना खाता अटैच कर लिया था, जिसके चलते 82 पॉलिसी का कमीशन करीब साढ़े पांच लाख रुपये तनुज भारती के खाते में आ गया। उक्त कमीशन की रकम तनुज के खाते में आने के कारण ही उसकी गिरफ्तारी हुई।

कैंसर से मौत होने पर भी दिलाया लाभ

जिन लोगों की पॉलिसी की गई थी उसमें कई लोग ऐसे थे, जिन्हें कैंसर था। पहली किश्त जमा करने के बाद ही उनकी मौत हो गई है। लेकिन, हेराफेरी करते हुए उन्हें भी बीमा की रकम दिलवा दी गई। बताया जा रहा है कि बीमे का लाभ लेने के लिए मृत्यु रिपोर्ट और मेडिकल में भी हेराफेरी की गई।

25 लाख रुपये दिलाया अधिकतम लाभ

पड़ताल में सामने आया कि प्रमोद कुमार कम्बोज का 25 लाख रुपये का बीमा किया गया था। बीमा होने के कुछ दिन बाद ही उसकी मौत हो गर्ई। बाकी के केस में चार से पांच लाख रुपये तक का लाभ दिलाए जाने की बात कही जा रही है। माना जा रहा है कि एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस को उसके ही कर्मचारियों ने करीब चार से पांच करोड़ रुपये का चूना लगाया है।

छह मामलों में रोका भुगतान

खैर, यह फर्जीवाड़ा कितना बड़ा था, यह साफ नहीं हो पाया है, लेकिन जांच में यह जरूर सामने आया है कि 18 मृतकों के परिजनों को बीमे का पैसा मिल गया है। सात लोग अभी जिंदा हैं। साथ ही छह लोग मर चुके हैं, जिनका भुगतान जल्द होने वाला था, उस पर रोक लगाने की बात कही जा रही है।