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जस्टिस कुरैशी की नियुक्ति पर एक हफ्ते में फैसला करे केन्द्र : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। जस्टिस अकील कुरेशी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त करने को लेकर हो रही देरी के मामले में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार एक हफ्ते के अंदर इस पर विचार करेगी। उसके बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक हफ्ते के भीतर अपने फैसले के बारे में कोर्ट को अवगत कराने का निर्देश दिया।

पिछले दो अगस्त को केंद्र सरकार ने कहा था कि अभी संसद सत्र जारी है। सरकार 14 अगस्त तक इसे लेकर फैसला ले लेगी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई टाल दिया था।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पिछले मार्च महीने में जस्टिस कुरैशी को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस नियुक्त करने की अनुशंसा की थी। लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी नियुक्ति मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में नहीं की है।

गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन की ओर से वकील पुर्विश मलकान ने याचिका दायर करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के फैसले को लागू करने के लिए दिशानिर्देश जारी किया जाए। याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने चुनाव की घोषणा से ठीक एक दिन पहले विभिन्न हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के लिए जजों की नियुक्ति संबंधी नोटिफिकेशन जारी किया था। इन्हीं नोटिफिकेशन में सुप्रीम कोर्ट के लिए चार जजों की नियुक्ति और दो हाईकोर्ट के चीफ जस्टिसों को नियुक्त करने का आदेश जारी किया गया था लेकिन केंद्र सरकार ने जस्टिस कुरैशी की नियुक्ति संबंधी आदेश जारी नहीं किया।

केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश के हाईकोर्ट के लिए जस्टिस रविशंकर झा को कार्यकारी चीफ जस्टिस नियुक्त करने का आदेश जारी कर इस बात का संकेत दिया कि वो जस्टिस कुरैशी को चीफ जस्टिस नियुक्त नहीं करना चाहती है। याचिका में कहा गया है कि 10 मई के बाद विभिन्न हाईकोर्ट के लिए 18 एडिशनल जजों की नियुक्ति की गई। याचिका में कहा गया है कि जस्टिस कुरैशी की नियुक्ति नहीं कर केंद्र सरकार ने जजों की नियुक्ति के लिए मेमोरेंडम ऑफ प्रोसिजर का उल्लंघन किया है। केंद्र का यह कार्य न्यायपालिका पर हमला है।