दिल्ली अभी भी सदमे में हैं और वजह है बुराड़ी केस, वैसे देखा जाए तो ये केस काफी हद तक सोल्व होता दिखाई दे रहा है. लेकिन पुलिस अब तक किसी अंतिम निर्णय पर नहीं पहुंच पाई है.
तमाम सबूतों, साक्ष्यों को इकट्ठा करने के बाद अब मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम सभी मृतकों का दिमाग पढ़ेगी.
जी हां, दरअसल पुलिस मृतकों का साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी कराने की तैयारी कर रही है, जिससे यह समझा जा सके कि वास्तव में खुदकुशी से पहले उनके दिमाग में क्या चल रहा था.
दिल्ली बुराड़ी केस
बुराड़ी के इस मकान में मिली 11 लोगों की तफ्शीश के सिलसिले में पुलिस ने तकरीबन सब कुछ कर डाला. घर से मिले रजिस्टर-डायरियां पढ़ डालीं. मौका-ए-वारदात की जांच कर ली. सीसीटीवी फुटेज खंगाल डाले.
केस से जुड़े तमाम लोगों से बात कर ली. मगर परिस्थितिजन्य सबूत और कहानी के आधार पर केस को अंजाम तक पहुंचाने के लिए एक और जांच बेहद अहम हो गया है.
मृतकों का दिमाग़ पढ़ना! ये बात अजीब लग सकती है, मगर ऐसा पहले भी हो चुका है. विज्ञान में यह मुमकिन है. मेडिकल साइंस में इस जांच को साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी कहते हैं. सभी 11 लाशों का पोस्टमॉर्टम हो चुका है और जल्द ही रिपोर्ट भी आ जाएगी.
लेकिन जानकार मानते हैं कि अगर ये मामला आत्महत्या का है तो इसमें साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी काफ़ी मददगार साबित हो सकती है. इससे पहले हाई प्रोफाइल सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में भी साइकोलॉजिकल अटॉप्सी की मदद से मौत की वजहों की पड़ताल की गई थी.
साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी में मृतक से जुड़े बैकग्राउंड की खोजबीन की जाती है. मौत से ठीक पहले उसका व्यवहार कैसा था, मौत से पहले किन लोगों से उसने क्या बात की, उस दौरान मरने वाला किस तरह के माहौल में रह रहा था, किस तरह की बातें किया करता था, क्या वो किसी तनाव से जूझ रहा था, उसके खानपान की आदतें और बात-व्यवहार.