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निर्भया के चारों दोषियों को ऐसे दी जाएगी फांसी

 

नई दिल्ली। निर्भया के चारों दोषियों को फांसी के तख्ते पर चढ़ाने की प्रक्रिया बुधवार सुबह शुरू कर दी गई। जल्लाद पवन को आज बुधवार तिहाड़ के जेल नंबर तीन में स्थित फांसी घर का निरीक्षण कराया गया। इस दौरान पवन जल्लाद के साथ डमी फांसी का ट्रॉयल भी हुआ। साथ ही सारी कानूनी प्रक्रिया भी की गई, जो फांसी के वक्त होती है।

पहली बार चार लोगों को होगी एक साथ फांसी

जेल प्रशासन के अनुसार, 20 मार्च की सुबह 5:30 बजे निर्भया कांड के चारों दोषियों को फांसी के फंदे पर लटका दिया जाएगा। तिहाड़ जेल के पूर्व प्रवक्ता व कानूनी सलाहकार सुनील गुप्ता के अनुसार अपने 35 वर्षों के कार्यकाल में उन्होंने आठ फांसी देखी। इनमें 1982 में हुई रंगा-बिल्ला की फांसी और 2013 में हुई अफजल गुरु की फांसी शामिल है। सुनील गुप्ता के अनुसार तिहाड़ जेल के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा जब एक साथ चार लोगों को फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा।

कैसे होगी फांसी की प्रक्रिया पूरी

सुनील गुप्ता के अनुसार तिहाड़ जेल संख्या तीन में फांसी की कोठरी है। इस मामले में 20 मार्च की सुबह करीब चार बजे दोषियों को फांसी के लिए जगाया जाएगा। उनसे नहाने के लिए पूछा जाएगा। उन्हें पीने के लिए चाय दी जाएगी। इसके बाद उन्हें काले कपड़े पहनने के लिए दिए जाएंगे। करीब 4.30 बजे तक मजिस्ट्रेट वहां पहुंचेंगे और दोषियों से उनकी अंतिम इच्छा पूछेंगे। अगर वह कोई कानूनी प्रक्रिया पूरी करना चाहते हैं तो इसे रिकॉर्ड किया जाएगा। इसके बाद जल्लाद उनके दोनों हाथ पीछे बांधकर उन्हें फांसी के तख्ते पर ले जाएगा। उसके बाद उन्हें लकड़ी के फट्टे पर खड़ा करने के बाद उनके पैर बांध दिए जाएंगे और सिर को काले कपड़े से ढक दिया जाएगा। चारों के गले में फांसी का फंदा डालकर जल्लाद लीवर को खींच देगा, जिससे चारों की मौत हो जाएगी।

आधे घंटे तक फंदे से ही लटके रहेंगे दोषी

सुनील गुप्ता के अनुसार फांसी होने के बाद करीब 30 मिनट तक दोषियों को फंदे से लटकाकर ही रखा जाएगा। इसके बाद जाकर डॉक्टर जांच करेंगे और उन्हें मृत घोषित करेंगे। फिर उनके शव को उतारकर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल के शवगृह भेजा जाएगा। पोस्टमार्टम के बाद उनका शव परिजनों को सौंप दिया जाएगा। अगर कोई शव लेने से इनकार करता है तो उसके शव का अंतिम संस्कार तिहाड़ जेल प्रशासन द्वारा किया जाएगा। जेल प्रशासन द्वारा इन चारों का सामान उनके परिवार को सौंप दिया जाएगा।

फांसी से मिसाल पेश करने का प्रयास

जेल के प्रवक्ता राजकुमार की माने तो फांसी की सजा समाज के बीच मिसाल पेश करने के लिए होती है ताकि भविष्य में कोई ऐसा अपराध न करे। हत्या के मामलों में भी फांसी की सजा कई बार हो चुकी है लेकिन इसका कोई फायदा देखने को नहीं मिल रहा है, न केवल राजधानी में बल्कि देशभर में हत्या के मामलों में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है।