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टिड्डी दल के ​हमले पर कृषि मंत्रालय ने कसी कमर, तैनात किये गए ड्रोन, पढ़ें 10 बड़ी बातें

टिड्डियों के दल ने भारत के सामने कई मुश्किलें खड़ी कर दी है. भारत में पिछले 27 साल में टिड्डियों का ये सबसे खतरनाक हमला है. वहीं, टिड्डियों के आतंक से निपटने के लिए अब केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करना शुरू कर दिया है. टिड्डियों को मारने के लिए अब ड्रोन का इस्तेमाल करने की तैयारी हो रही है.

ड्रोन के ज़रिए प्रभावित इलाक़ों में टिड्डियों पर कीटनाशक का छिड़काव किया जाएगा. इसके लिए कृषि मंत्रालय को नागरिक उड्डयन मंत्रालय की मंज़ूरी इस शर्त पर मिल गई है कि इसमें केवल सरकारी मान्यता प्राप्त एजेंसियां ही इस्तेमाल की जाएंगी.

उधर, इस काम के लिए अब तक दो एजेंसियों का चयन भी किया जा चुका है, जबकि बाक़ी के चयन के लिए ई-नीलामी की जा रही है. ड्रोनों का इस्तेमाल ख़ासकर बड़े-बड़े पेड़ों और उन इलाकों में फ़ैल टिड्डियों पर किया जाएगा जहां पहुंचना मुश्किल काम है.

इसी के साथ कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने स्प्रेयर की संख्या बढ़ाने का फ़ैसला करते हुए यूके की कम्पनी मेसर्स माइक्रोन से 60 अतिरिक्त स्प्रेयर मंगाने को मंज़ूरी दी है. फ़िलहाल 47 स्प्रेयर इस्तेमाल में लाए जा रहे हैं.

अभी तक राजस्थान के 21, मध्य प्रदेश के 18, गुजरात के 2 और पंजाब के 1 जिलों में टिड्डियों पर क़ाबू पाने का अभियान चलाया जा रहा है. इसके लिए कीटनाशकों की कमी न हो इसके लिए पर्याप्त स्टॉक तैयार किया जा रहा है, जिसमें 53,000 लीटर मैलाथियान शामिल है. सबसे बुरी हालत राजस्थान की है. इसे देखते हुए स्प्रेयर लगे हुए 800 ट्रैक्टर और कीटनाशक ख़रीदने के लिए राज्य को क़रीब 18 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं .

सरकार ने टिड्डी प्रभावित इलाकों के लिए 200 लोकस्ट सर्किल ऑफिसर की नियुक्ति भी की है जो स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर उन सभी इलाकों की निगरानी और सर्वे कर रहा है जहां जहां टिड्डियों का हमला हुआ है.

अभी तक राजस्थान , मध्यप्रदेश , गुजरात और पंजाब के 303 जगहों की 47,308 हेक्टेयर ज़मीन पर टिड्डियों पर नियंत्रण का काम पूरा हो चुका है. इसके लिए अब तक 89 फायर ब्रिगेड की गाड़ियों का भी इस्तेमाल किया जा चुका है.

आइए एक नजर डालते हैं सरकार की 10 बड़ी बातों पर

1. केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार राजस्थान के 21 जिले, मध्य प्रदेश के 18 जिले, गुजरात के दो जिले और पंजाब के एक जिले में अब तक टिड्डी दल पर काबू पाने के लिए कदम उठाये गये हैं.

2. केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने ब्रिटेन से 60 अतिरिक्त स्प्रेयर की खरीद को मंजूरी दे दी है, ताकि खेतों पर रसायनों को स्प्रे कर टिड्डियों के हमले को रोका जा सके

3. राजस्थान के कृषि विभाग ने जयपुर जिले में टिड्डियों को नियंत्रित करने के लिये कीटनाशक के छिड़काव के लिये एक ड्रोन की मदद ली. जयपुर जिले के चौमू के पास सामोद में ड्रोन का उपयोग किया गया. ड्रोन किराए पर लिए गए हैं.

4.टिड्डियों के हमले की आशंका के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में दमकल वाहनों को पहले से ही तैयार कर लिया गया है. कीटनाशकों का छिड़काव किया जा रहा है साथ ही वाहनों पर डीजे और दूसरे यंत्रों को लगाकर शोर किया जा रहा है.

5. सरकार ने कहा है कि 200 टिड्डे सर्किल कार्यालय (एलसीओ) प्रभावित राज्यों के जिला प्रशासन और कृषि क्षेत्र मशीनरी के साथ सर्वे कर रहे हैं.

6. इससे पहले टिड्डी दल का प्रकोप राजस्थान और गुजरात तक था. लेकिन टिड्डों को पर्याप्त भोजन नहीं मिलने की वजह से वे जोरदार हवाओं की मदद से दूसरे इलाकों की ओर बढ़ रहे हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्र के अनुसार टिड्डी दलों ने करीब 40 हजार हेक्टेयर जमीन पर हमला किया है.

7.संयुक्त राष्ट्र के निकाय खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार, टिड्डियों के हमले से प्रभावित देशों के लिए खाद्य सुरक्षा को खतरा पैदा होता है क्योंकि वयस्क टिड्डी अपने दो ग्राम के वजन के बराबर हर एक दिन में वनस्पति खा सकते हैं.

8. एफएओ के अनुसार, झुंड के एक वर्ग किलोमीटर के दायरे में चार से आठ करोड़ वयस्क टिड्डियां हो सकती हैं। हर एक दिन, अगर वे 130-150 किमी की दूरी तय करते हैं, तो वे 35,000 लोगों द्वारा खाए गए भोजन के बराबर खाद्य पदार्थो को खा सकते हैं.

9. मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के करीब 10 जिलों में टिड्डी दल के हमले का खतरा है.

10. कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि दल के नियंत्रण के लिए किसान टोली बनाकर शोर मचाकर, ध्वनि यंत्र बजा कर, टिड्डी दल को डरा कर भगा सकते हैं. इसके लिए ढोलक, ट्रैक्टर, मोटर साइकल का साईलेंसर, खाली टीन के डब्बे, थाली इत्यादि से ध्वनि पैदा की जा सकती है.