– सुब्बैया एक बार फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष
– आगरा में एबीवीपी के 65वें राष्ट्रीय अधिवेशन का दूसरा दिन
आगरा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अनुषांगिक संगठन और विश्व के सबसे बड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी (एबीवीपी) ने पहली बार किसी महिला कार्यकर्ता को एक बड़ा दायित्व सौंपा है। राजनीति की नर्सरी कहे जाने वाले इस छात्र संगठन में किसी गैर-पूर्णकालिक कार्यकर्ता को पहली बार राष्ट्रीय महामंत्री बनाया जाना छात्र राजनीति में महिलाओं की सशक्त भूमिका की ओर इशारा माना जा रहा है। इसके अलावा डॉक्टर एस. सुब्बैया को एक बार फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है।
जेएनयू से पीएचडी करने वाली निधि त्रिपाठी को राष्ट्रीय महामंत्री बनाया बनाया जाना महिला राजनीति की दिशा मील का पत्थर साबित हो सकता है। राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को लेकर समय-समय पर तमाम तरह की बातें उठती रहीं हैं। महिलाओं को राजनीति में उचित स्थान और पर्याप्त हिस्सेदारी की बातें उठनी आम हैं। ऐसे में राजनीति की नर्सरी एबीवीपी का यह कदम जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में एबीवीपी को संजीवनी देने के साथ ही छात्राओं और महिला शिक्षिकाओं को आकर्षित भी करेगा। निधि त्रिपाठी को एक सांगठनिक हथियार के रूप में उपयोग करके छात्राओं व महिलााओं के बड़े धड़े को आसानी से संगठन की सदस्यता दिलाई जा सकेगी। जेएनयू में छात्रसंघ का चुनाव लड़ने के बाद निधि त्रिपाठी का नाम चर्चा में आया था।
जेएनयू में वामपंथी छात्र संगठनों और उनके मार्गदर्शक शिक्षकों को भी उचित जवाब देने को एक अच्छी खासी टीम खड़ी रहेगी।
यहां यह बता देना जरूरी है कि एबीवीपी पहले से ही महिला सशक्तिकरण के प्रस्तावों को अपने अधिवेशनों में लाती रही है और महिलाओं की शिक्षा, सुरक्षा और सम्मान की बात दोहराती रही है। बावजूद इसके न तो एबीवीपी ने कभी किसी महिला को इतना बड़ा दायित्व सौंपा और न ही किसी अन्य छात्र संगठन ने ही ऐसा करने की हिम्मत दिखाई लेकिन निधि त्रिपाठी को राष्ट्रीय महामंत्री बनाकर एबीवीपी ने ठोस कदम बढ़ा दिया है।
आगरा कालेज मैदान में 22 से 25 नवम्बर तक चलने वाले 65वें राष्ट्रीय अधिवेशन में 23 नवम्बर शनिवार को पदाधिकारियों के नामों की घोषणा हुई। डॉक्टर एस. सुब्बैया को एक बार फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है।