भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी नही रहे। देश की राजनीति को नई दिशा और दशा देने वाले वाजपेयी का गुरुवार को दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। उनके यूं चले जाने से देश ने एक ऐसा नेता खो दिया है, जो भाषा, विचार और संस्कृति के भेद से बिल्कुल परे रहेे। वाजपेयी ने अपने पूरे राजनीतिक कार्यकाल में पक्ष और विपक्ष दोनों से बेहद शालीन व्यवहार रखा। वह एक प्रखर हिंदू नेता थे, हालांकि उन्होंने अपनी शुरुआत वामपंथ से की थी। आइए जानिए उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ अहम जाकारियां…
राजनीति का वो ‘अटल’ नेता
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर, 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। उनके पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी कवि और अध्यापक थे और मां कृष्णा देवी घरेलू महिला थीं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा बड़नगर, गोरखी के सरस्वती शिशु मंदिर से हुई। उन्होंने ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेजियट स्कूल से इंटरमीडिएट तक और विक्टोरिया कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली। उन्होंने एमए डीएवी कॉलेज, कानपुर से किया।
राजनीतिक करियर
वाजपेयी ने कॉलेज जीवन से ही राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया था। उन्होंने अपनी शुरुआत वामपंथ से की। हालांकि बाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से प्रभावित वह एक प्रखर हिंदू नेता बने। वह 1951 से भारतीय राजनीति का हिस्सा बने। उन्होंने 1955 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन इसमें उन्हें हार मिली। इसके बाद 1957 में वह सांसद बनें। वह पहली बार 1957 में संसद सदस्य चुने गए थे।
बीजेपी की स्थापना में निभाई अहम भूमिका
अटल बिहारी वाजपेयी ने 90 के दशक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थापना में अहम भूमिका निभाई। यह वाजपेयी के व्यक्तित्व का ही कमाल था कि बीजेपी के साथ उस समय नए सहयोगी दल जुड़ते गए, जबकि उन दिनों बाबरी मस्जिद विध्वंस के और दक्षिणपंथी झुकाव के कारण बीजेपी को राजनीतिक अछूत माना जाता था।
अनूठी शख़्सियत
- पत्रकार, कवि और राजनेता के साथ 11 भाषाओं के जानकार थे अटल
- मित्र जीवन में वामपंथी विचारधारा से प्रेरित थे। 1939 में संघ से जुड़े।
- 1977 में यूएन में हिंद् में भाषण देने वाले पहले व्यक्ति
- चार राज्यों (यूपी, दिल्ली, मध्य प्रदेश, गुजरात) से बने सांसद
- पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाले पहले गैर कांग्रेस प्रधानमंत्री
विशेष बातें
- 1971 में पाक के घुटने टेकने पर इंदिरा गांधी की खुलकर की थी तारीफ।
- नवाज शरीफ ने कहा था अटल जी तो पाक में भी चुनाव जीत सकते हैं।
- कारगिल विवाद पर अमेरिका से कहा था कि पाक सेना हटाए नहीं तो हम सीमा पार करेंगे।
- जय जवान, जय किसान में जय विकास को जोड़कर दिया नया नारा।
- अटल ने पिता के साथ की थी कानून की पढ़ाई। राष्ट्रधर्म पत्रिका के लिए अधूरी छोड़ी थी पढ़ाई
जीवन के अहम पड़ाव
- 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में लिया हिस्सा, 23 दिन जेल में रहे
- 1954 में कश्मीर मुद्दे पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी संग अनशन पर बैठे
- 1957 में यूपी के बलरामपुर से चुनाव जीत पहली बार सांसद बने
- 1996 में 16 मई को पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली
- 2005 में सक्रिय राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा की
इन फैसलों ने बनाया ‘अटल’ नेता
- 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट कर सभी को चौंकाया।
- फरवरी 1999 में दिल्ली से लाहौर के बीच बस सेवा की शुरुआत की।
- साल 2000 में दूरसंचार क्षेत्र में क्रांति लाने वाली नीति बनाई।
- 2001 में बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने का कानून बनाया।
- 2004 में कश्मीर मद्दे के हल के लिए अलगाववदियों से वार्ता शुरु की।