अध्यात्म डेस्क:
हिन्दू धरम में दक्षिण दिशा की ओर के घर को लंबे समय से लोगों द्वारा अपवित्र और अशुभ माना गया है। लेकिन ये एक मिथक मात्र है क्योंकि दक्षिण यम राज की दिशा है और दक्षिण को नकारात्मक उर्जा का स्त्रोत माना गया है. आपको बता दें, अगर आप उचित वास्तु घर नियमों का पालन करें तो दक्षिण दिशा का घर आपके लिए बहुत शुभ हो सकता है और आपको मालामाल भी बना सकता है.
दक्षिण दिशा के सकारात्मक पहलू
- दक्षिण दिशा को मंगल माना गया है|
- दक्षिण मुखी घर सर्वश्रेस्ठ होता है और सभी दुखों का नाश करने वाला होता है|
- ब्रह्माण्ड की रीढ़ कहा गया दक्षिण दिशा|
- दक्षिण दिशा में विजय श्री का निवास होता है|
- दक्षिण दिशा का व्यवसायिक स्थान सर्वश्रेस्ठ माना गया है|
- दक्षिण मुखी गणेश सभी विघ्न बाधाओं को नष्ट करने वाला माना गया है|
- दक्षिण दिशा की ओर खुलने वाला मंदिर सर्वश्रेस्ठ माना गया है|
- दक्षिण दिशा अर्थात मंगल ग्रह किसी भी घटना का पूर्वानुमान लगा सकता है और होने वाली घटनाओं को रोक देता है|
कब होता है नुकसान
- दक्षिण दिशा के मकान में सामने से जल प्रवाह और सीढ़ी के नीचे पानी होने से अमंगल हो सकता है|
- दक्षिण दिशा के मकान में सामने से जल प्रवाह है तो जल प्रवाह रोकने का प्रयास करें|
क्या रखें ध्यान
- दक्षिण दिशा के घर में रसोई दक्षिण पूर्व दिशा में स्थित होना चाहिए। दूसरा विकल्प है नॉर्थवेस्ट|
- मास्टर बेडरूम सख्ती से अधिकतम लाभ के लिए दक्षिण पश्चिम दिशा में मौजूद होना चाहिए|
- दक्षिण दीवार उच्च और उत्तरी दीवार से अधिक गहरा की ऊंचाई रखें अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए|
- दक्षिण भाग की तुलना में संपत्ति के उत्तरी भाग में अधिक जगह रखना|
- कार पोर्च, बगीचा, सेप्टिक टैंक और पानी नाबदान दक्षिण पश्चिम दिशा में बचें|
- उत्तर पूर्व दिशा में पेड़ों रखने से बचें|
- उत्तर पूर्व दिशा में सीढ़ी रखने से बचें|
- दक्षिण दिशा में बोरवेल या तालाब जगह नहीं होना चाहिए है|